✍ वासुदेव प्रजापति इतिहास को विकृत करने वाला जेम्स मिल दूसरा प्रयत्न हुआ भारतीय इतिहास की प्राचीनता को नकारने का। इस हेतु से उन्होंने दो…
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भारत भारती
✍ गोपाल माहेश्वरी भारत और भारती का मन आज आनंद से उछल -उछल जा रहा था। एक पुराने फिल्मी गाने की एक पंक्ति है न…
राष्ट्र शिल्पी और ज्ञान परंपरा का संवाहक है शिक्षक
✍ डॉ. रवीन्द्र नाथ तिवारी शिक्षक का स्थान समाज में अनादिकाल से ही पूजनीय रहा है। शिक्षा का प्रमुख आधार शिक्षक ही होता है। शिक्षक…
लोकमान्य बाळ गंगाधर टिळक-आद्य “राष्ट्रीय शैक्षणिक क्रांतिकारक”
– डॉ. वसुधा विनोद देव लोकमान्य बाळ गंगाधर टिळक भारतीय असंतोषाचे जनक, उत्कृष्ट लेखक, धुरंधर राजकारणी, तत्वज्ञ, समाज सुधारक, श्रीमदभगवदगीतेचे भाष्यकार, थोर राष्ट्रभक्त, थोर द्रष्टे…
भारतीय शिक्षा का दार्शनिक आधार
– शिव कुमार शर्मा शिक्षा मनुष्य का परिष्कार करती है। शिक्षा ही उसके गुणों का संवर्द्धन कर देवत्व की ओर प्रेरित करती है। किन्तु शिक्षा…
बालक के पूर्ण विकास का विज्ञान ‘बाल क्रीडा कर्म’
-डॉ प्रज्ञा शरद देशपांडे चौंसठ कलाओं में से एक और सबसे महत्त्वपूर्ण कला ‘बाल क्रीडा कर्म’ (बच्चों का खेल) है। बाल का अर्थ है- “बलति…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 54 (पठनीय विषयों का सांस्कृतिक स्वरूप)
– वासुदेव प्रजापति भारतीय ज्ञानधारा का मूल अधिष्ठान अध्यात्म है। अध्यात्म जब नियम व व्यवस्था में रूपान्तरित होता है, तब वह धर्म का स्वरूप…
शिक्षा और सामाजिक संचेतना
– लक्ष्मीकान्त सिंह शिक्षा के मूल दृष्टिकोण साधारणतया शिक्षा के दो पक्ष/दृष्टिकोण होते हैं। प्रथम यह है कि शिक्षा प्रतिभा विकास की प्रक्रिया हैं, अर्न्तनिहित…
सामाजिक समरसता के प्रेरक संत रविदास
– मृत्युंजय दीक्षित हिंदू समाज को छुआछूत जैसी घृणित परम्परा से मुक्ति दिलाने वाले महान संत रविदास का जन्म धर्मनगरी काशी के निकट मंडुआडीह में…
ज्ञान की बात 48 (व्यक्ति को समर्थ बनाना)
– वासुदेव प्रजापति शिक्षा के प्रयोजनों को जानने के क्रम में हमने शिक्षा का सांस्कृतिक प्रयोजन, शिक्षा का राष्ट्रीय प्रयोजन एवं शिक्षा का सामाजिक प्रयोजन…