✍ गोपाल माहेश्वरी वैभव अभी सोलह वर्ष का ही हुआ था। इन दिनों उसके मामा आए हुए थे। उसके मामा के पास एक बाइक थी।…
Category: कथा/कहानी
शिक्षा से सम्बंधित कहनियाँ
सहपाठी
✍ गोपाल माहेश्वरी वैदिक अपने विद्यालय की एटीएल यानी अटल टिंकरिंग लेब से निकलते हुए किसी गहरे विचार में इतना डूबा हुआ था कि अपने…
समरसता की सुधा
✍ गोपाल माहेश्वरी सुधांशु पाठक सायं चार बजे अपना कुर्ता पायजामा पहने कांधे पर झोला लटकाए अकेले निकल पड़ते अपने विद्या मंदिर की गोद ली सेवाबस्ती…
छोटे-छोटे श्रवण कुमार
✍ गोपाल माहेश्वरी रागिनी और रोहित के माता-पिता दोनों कर्मचारी हैं दोनों बच्चे विद्यालय जाने के समय के अतिरिक्त अपनी बूढ़ी दादी मां के पास…
आरती
✍ गोपाल माहेश्वरी “आरती! जरा गाय को चारा डाल दे, भूखी होगी।” माँ ने कहा। “अभी डाल देती हूँ माँ!” आरती लगते जेष्ठ को चौदह…
नई संवत् की नई भोर
✍ गोपाल माहेश्वरी नवल और किसलय नववर्ष की तैयारियां करने में जुटे थे। हुआ यह कि अनके पिताजी का स्थानांतरण होने से वे इस महानगर…
प्रह्लाद की होली
✍ गोपाल माहेश्वरी रंगों का पर्व होली आते ही बच्चों के मन में बहुत ही उल्लास छाया हुआ था। रंग, गुलाल, पिचकारी की होड़ तो…
विश्वहित का अनुसंधान यज्ञ
✍ गोपाल माहेश्वरी उनके सामने मिट्टी की दो मटकियां, एक बड़े से कटोरे जैसे पात्र में बारीक छनी हुई मिट्टी का गाढ़ा घोल और कपड़े…