राष्ट्रीय शिक्षा नीति
1986 में बनाई गई शिक्षा नीति 1992 के संशोधनों के उपरांत भी शिक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने में अब अक्षम दिखाई दे रही थी। 34 वर्षों के लंबे समय उपरांत देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति नई संभावनाओं के साथ आई है। शायद देश में ही नहीं अपितु विश्व भर में यह एक ऐसा बड़ा विमर्श है जो ग्राम पंचायत से लेकर राष्ट्रीय स्तर, छात्रों, अध्यापकों, अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों, राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा शिक्षाविदों के सुझावों, चिन्तन, मनन का परिणाम है। इस ड्राफ्ट की प्रारम्भिक दृष्टि से पता चलता है कि यह समाज के प्रत्येक वर्ग, क्षेत्र तक ज्ञान पहुँचाने का संकल्प है।