✍ कल्याण चक्रवर्ती और अरित्र घोष दस्तिदार राष्ट्रीय पुनर्जागरण की एक प्रवृत्ति साहित्य आश्रयी, इसे ‘भावसर्वस्व धारा’ कहते हैं। जबकि कई विचारकों ने इस विचार…
Category: व्यक्तित्व
आचार्य विनोबा भावे और उनकी शिक्षक दृष्टि
✍ सचिन अरुण जोशी आचार्य विनोबा भावे एक ऋषितुल्य व्यक्तित्व। केवल चिंतन ही नहीं अपितु चिंतनाधारित कृति ऐसी उनकी प्रगल्भता थी। विनोबाजी मूलतः महाराष्ट्र से…
स्वामी विवेकानंद ने अध्यात्म के बल पर भारत को विश्व गुरु बनाने के किए थे प्रयास
✍ प्रह्लाद सबनानी स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकत्ता में हुआ था। आपका बचपन का नाम श्री नरेंद्र नाथ दत्त था।…
जगदीशचंद्र बसु – विज्ञान के आकाश में भारतीय पुरोधा
✍ डॉ. पवन सिंह ‘पेड़ पौधों में भी जीवन होता है और उनमें भी अनुभूतियाँ होती है’ इस बात को वैज्ञानिक आधार पर सिद्ध कर दुनियां को चौकाने वाले वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु का जन्म 30 नवंबर 1858 को मेमनसिंह गाँव,बंगाल…
विद्या भारती के पुष्पदीप श्रद्धेय कृष्णचन्द्र गांधी
– पंकज सिन्हा अप्रतिम शब्द का शाब्दिक विश्लेषण से संज्ञान होता है – जिसकी कोई बराबरी जल्दी नहीं कर सकता है, जो अद्वितीय हो, जो…
देशभक्ति का अद्वितीय उदाहरण – अवंती बाई लोधी
– डॉ. मंजरी गुप्ता इतिहास गवाह है कि देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करवाने में अनगिनत लोगों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया…
गिजुभाई बधेका की साहित्य रचनाएं
– अनिल रावल गिजुभाई बधेका आधुनिक शिक्षा के ज्योतिर्धर है। पाठशाला में जब परंपरागत और रटने की शिक्षा दी जाती थी तब विद्यार्थी शिक्षा के…
आर्थिक क्षेत्र में भी राष्ट्रीयता का भाव होना आवश्यक – श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जयंती विशेष
– प्रहलाद सबनानी श्री दत्तोपंत जी ठेंगड़ी का जन्म 10 नवम्बर, 1920 को, दीपावली के दिन, महाराष्ट्र के वर्धा जिले के आर्वी नामक ग्राम…