शैक्षणिक कुशलताएँ – प्रयत्न एवं परिणाम

✍ राजेन्द्र सिंह बघेल पिछले दिनों दिल्ली में एक पुराने मित्र से भेंट हुई। औपचारिक शिष्टाचार वार्ता के क्रम में ध्यान आया कि इतने वर्षों के बाद…

शिशु शिक्षा 40 – क्षमताओं का विकास – भाग 2

✍ नम्रता दत्त श्रृंखला के इस सोपान में शिशु की बौद्धिक क्षमताओं अर्थात् विज्ञानमयकोश  एवं आध्यात्मिक क्षमताओं अर्थात् आनन्दमयकोश के विकास पर संक्षिप्त चर्चा करेंगे।…

शिक्षार्थ संकल्प

शिक्षार्थ संकल्प संकल्प जो शिक्षण को सरल, सुगम व सुबोध बना देते हैं। ✍ राजेन्द्र सिंह बघेल   विद्यालय मात्र इंटों से बना भवन नहीं या विभिन्न…

शिशु शिक्षा 39 – क्षमताओं का विकास

✍ नम्रता दत्त शिशु के जीवन के प्रारम्भ्कि पांच वर्ष सीखने की नींव के वर्ष होते हैं। पांच वर्ष की यह सीख/शिक्षा सम्पूर्ण जीवन की…

शिशु शिक्षा 38 – संस्कार एवं चरित्र निर्माण

✍ नम्रता दत्त बाल मनोविज्ञान के अनुसार बालक का 85 प्रतिशत विकास छः वर्ष की अवस्था से भी पूर्व हो जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति…

ज्ञानात्मक जानकारी तो है पर व्यवहार में ???

✍ राजेन्द्र सिंह बघेल एक मासिक पत्रिका में छपे लेख में यह पढ़कर मन को प्रसन्नता हुई कि देश में विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी हेतु नवयुवकों के…

कक्षा में शैक्षिक परिणाम – एक प्रयोग

    ✍ राजेन्द्र सिंह बघेल प्रत्येक मनुष्य अपने द्वारा किए गए कार्य का अच्छा परिणाम चाहता है। इसके लिए वह विभिन्न प्रकार के प्रयत्न भी…

शिशु शिक्षा 37 – अनौपचारिक शिक्षा कैसे?

✍ नम्रता दत्त सजीव सृष्टि का परिचय आज पार्थ की मम्मी को ऑफिस से घर लौटने में देर हो गई थी और तीन वर्ष के…

शिशु शिक्षा 36 – जीवन का घनिष्ठतम अनुभव (परिवार/आचार्य शिक्षण)

✍ नम्रता दत्त शिशु शिक्षा पर विशेष महत्व एवं चिन्तन का कारण है उसका समग्र विकास जो कि इस अवस्था में 85 प्रतिशत हो जाता…

शिशु शिक्षा 35 – अनौपचारिक शिक्षा क्या, क्यों और कैसे?

✍ नम्रता दत्त गत सोपान में हमने जाना कि शिशु अवस्था (3 से 5 वर्ष) में शिक्षा का अर्थ पढ़ना-लिखना अर्थात् औपचारिक शिक्षा नहीं अपितु…