हम सब सैनिक हैं

✍ गोपाल माहेश्वरी आज 23 जनवरी थी। नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्मदिवस। विद्यालय में आज विशेष सभा आयोजित थी। सेवानिवृत्त मेजर विश्वरंजन घोष विशेष मुख्य…

बाइक 

✍ गोपाल माहेश्वरी वैभव अभी सोलह वर्ष का ही हुआ था। इन दिनों उसके मामा आए हुए थे। उसके मामा के पास एक बाइक थी।…

काँटों वाला पौधा

✍ गोपाल माहेश्वरी दिन के दस बज रहे थे। उद्यान में सुबह घूमने आने वाले लगभग सभी लोग जा चुके थे। दक्ष का अपने मित्रों…

सहपाठी

✍ गोपाल माहेश्वरी वैदिक अपने विद्यालय की एटीएल यानी अटल टिंकरिंग लेब से निकलते हुए किसी गहरे विचार में इतना डूबा हुआ था कि अपने…

अपनी भाषा

✍ गोपाल माहेश्वरी सुभाष जी एक सेवानिवृत्त आचार्य थे। लेकिन प्रतिदिन शाला के खेल मैदान पर आने का उनका क्रम अखंड व्रत की भांति था। आते और मैदान…

समरसता की सुधा

✍ गोपाल माहेश्वरी सुधांशु पाठक सायं चार बजे अपना कुर्ता पायजामा पहने कांधे पर झोला लटकाए अकेले निकल पड़ते अपने विद्या मंदिर की गोद ली सेवाबस्ती…

छोटे-छोटे श्रवण कुमार

✍ गोपाल माहेश्वरी रागिनी और रोहित के माता-पिता दोनों कर्मचारी हैं दोनों बच्चे विद्यालय जाने के समय के अतिरिक्त अपनी बूढ़ी दादी मां के पास…

आषाढ़ का वह दिन

✍ गोपाल माहेश्वरी आषाढ़ मास आरंभ हो चुका था। गरमियों का सूनेपन से ऊब चुका आकाश इस माह कभी भी चित्र-विचित्र छोटे-बड़े बादलों से भर…

आरती

✍ गोपाल माहेश्वरी “आरती! जरा गाय को  चारा डाल दे, भूखी होगी।” माँ ने कहा। “अभी डाल देती हूँ माँ!” आरती लगते जेष्ठ को चौदह…

नई संवत् की नई भोर

✍ गोपाल माहेश्वरी नवल और किसलय नववर्ष की तैयारियां करने में जुटे थे। हुआ यह कि अनके पिताजी का स्थानांतरण होने से वे इस महानगर…