– डॉ. रवीन्द्र नाथ तिवारी स्वामी विवेकानन्द महान चिन्तक, दार्शनिक एवं भारतीय सनातन संस्कृति के पुरोधा थे। धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवृति उन्हें विरासत में मिली थी। उन्होंने अपने व्याख्यानों एवं…
– वासुदेव प्रजापति समाजशास्त्र एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य के साथ रहने की व्यवस्था का शास्त्र है। साथ-साथ रहने की व्यवस्था किन सिद्धान्तों पर हुई है, यह समझना आवश्यक है।…
– वासुदेव प्रजापति प्रथम भाग में हमने जाना कि भाषा की मूल इकाई अक्षर है और इसकी व्याप्ति सम्पूर्ण जीवन है। अक्षर के विभिन्न पदार्थों के साथ जुड़कर अनेक रूप…
– वासुदेव प्रजापति भाषा मनुष्य के व्यक्तित्व के साथ अविभाज्य अंग के समान जुड़ी हुई है। भाषा विहीन व्यक्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मनुष्य जब इस जन्म…
– वासुदेव प्रजापति भारतीय ज्ञानधारा का मूल अधिष्ठान अध्यात्म है। अध्यात्म जब नियम व व्यवस्था में रूपान्तरित होता है, तब वह धर्म का स्वरूप धारण करता है। जब वह…
– गोपाल माहेश्वरी देशद्रोही देश के दुश्मन से भी घातक अधिक है। राह के काँटे कुचलते जो बढ़ें हम वो पथिक हैं। “आजादी कभी गिड़गिड़ाते भीख माँगते नहीं मिलती, यह…