– शशि रंजन – डॉ० शिरीष पाल सिंह शिक्षा के दर्शन में आलोचनात्मक शिक्षण शास्त्र ऐसा दर्शन है जो लोकतांत्रिक रूप से सीखने की प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करता है एवं…
– वासुदेव प्रजापति हम इतिहास को राजकीय इतिहास के रूप में ही पढ़ाते हैं। सांस्कृतिक इतिहास भी होता है, इसका हमें भान ही नहीं है। आज शासन, प्रशासन व राजनीति…
– वासुदेव प्रजापति अब तक इस बिन्दु की स्पष्टता हुई होगी कि इकोनोमिक्स के सिद्धांतों पर चलने से सर्वजनहिताय व सर्वजनसुखाय का उद्देश्य सिद्ध नहीं होता। और अर्थ के सांस्कृतिक…
– वासुदेव प्रजापति समाजशास्त्र एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य के साथ रहने की व्यवस्था का शास्त्र है। साथ-साथ रहने की व्यवस्था किन सिद्धान्तों पर हुई है, यह समझना आवश्यक है।…
– गोपाल माहेश्वरी संकटों में देख माँ को पुत्र क्यों ना क्रुद्ध हो, क्या अवस्था अर्थ रखती छिड़ चुका जब युद्ध हो। बंगाल में ‘मास्टर दा’ के नाम से विख्यात…