✍ गोपाल माहेश्वरी जिस दिन शंकर का त्रिशूल भी चूक जाए संधानों से। उस दिन रुकने की आशा करना भारत संतानों से।। गीता कहती है…
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प्रह्लाद की होली
✍ गोपाल माहेश्वरी रंगों का पर्व होली आते ही बच्चों के मन में बहुत ही उल्लास छाया हुआ था। रंग, गुलाल, पिचकारी की होड़ तो…
बाल बलिदानी रामचन्द्र
✍ गोपाल माहेश्वरी मातृ भू की पीर की करना पढ़ाई जानते थे। रक्त से जय मातृ भू की वे लिखाई जानते थे।। खाली समय में…
नन्हा क्रान्तिकारी – दत्तू रंगारी
✍ गोपाल माहेश्वरी घुट्टी में जो राष्ट्रभक्ति का पान किया करते हैं। स्वतंत्रता अनमोल समझ बलिदान दिया करते हैं।। 15 अगस्त और 26 जनवरी पर…
अंदर के दीपक
✍ गोपाल माहेश्वरी वीर ने जैसे ही दीपक जलाए हवा के झोंके ने बुझा दिए। उसने फिर जलाए, फिर ऐसा ही हुआ। तीसरी चौथी बार…
शिवाजी महाराज जैसा साहसी- शिवा झा
✍ गोपाल माहेश्वरी छोटा सा पर हीरा हो तो तेज आँच भी सह जाता है, बहुत बड़ा मिट्टी का ढेला पानी से गल बह जाता…
व्यावहारिक वेदान्त की अमर ज्योति स्वामी रामतीर्थ
– गोपाल माहेश्वरी “जीवन दीप जले ऐसा सब जग को ज्योति मिले, जीवन दीप जले।” संघ में गाए जाने वाले इस गीत के भाव जिनके…
नई दुर्गा
✍ गोपाल माहेश्वरी नवरात्रि का आरंभ होने वाले थे। द्युति ने निश्चय किया कि वह नौ दिनों का व्रत रखेगी। दिन में केवल एक समय…
वीर बाला कनकलता
✍ गोपाल माहेश्वरी चढ़ता यौवन खिलता बचपन केसरिया कैशौर्य समर्पण। जीवन पाया जिस माटी में उस माटी पर जीवन अर्पण।। विवाह रचाना बड़ों का काम…