– गोपाल माहेश्वरी “जीवन दीप जले ऐसा सब जग को ज्योति मिले, जीवन दीप जले।” संघ में गाए जाने वाले इस गीत के भाव जिनके…
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नई दुर्गा
✍ गोपाल माहेश्वरी नवरात्रि का आरंभ होने वाले थे। द्युति ने निश्चय किया कि वह नौ दिनों का व्रत रखेगी। दिन में केवल एक समय…
वीर बाला कनकलता
✍ गोपाल माहेश्वरी चढ़ता यौवन खिलता बचपन केसरिया कैशौर्य समर्पण। जीवन पाया जिस माटी में उस माटी पर जीवन अर्पण।। विवाह रचाना बड़ों का काम…
मोक्ष
✍ गोपाल माहेश्वरी वह था तो अभी मात्र दस वर्ष का पर माता-पिता के असमय ही सदा के लिए छूट जाने के बाद एकदम अकेला…
चिंतन और चेतना
✍ गोपाल माहेश्वरी चिंतन और चेतना सगे भाई-बहिन हैं। नाम का प्रभाव उनके विचारों पर भी स्पष्ट दिखाई देता है। पिताजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के…
दृढ़ निश्चयी बालाजी
✍ गोपाल माहेश्वरी चिंगारियाँ अंगार से जब आग लेकर छूटती हैं। बुझने से पहले वह समूचा वन जलाती लूटती हैं।। वह सारी रात जागा था…
गुरु आश्रम की ओर
✍ गोपाल माहेश्वरी प्रातःकाल पाँच बजने को थे कि घर में खटर-पटर की आवाजों से गौरव की नींद टूट गई। उसे पता था दादा जी-…
नमस्ते वन देवता
✍ गोपाल माहेश्वरी प्राकृत अपनी सायकिल लेकर प्रातः से ही निकल पड़ा था। शीतलमंद पवन के झकोरे उसके तन मन में स्फूर्ति और आनंद का …
साहस शील हृदय में भर दे
✍ गोपाल माहेश्वरी सत्येंद्र आठवीं कक्षा का बहुत प्रतिभाशाली विद्यार्थी है। आज उसकी वार्षिक परीक्षा का तीसरा प्रश्नपत्र था। उसने बहुत अच्छी पढ़ाई की थी…
वैज्ञानिको भव
✍ गोपाल माहेश्वरी रघु और मधु दोनों गहरे मित्र संध्या समय कालोनी के बगीचे में बैठे थे। मंद शीतल पवन में वृक्ष और पौधे आनंद…