भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 92 (भारत के विषय में घोर अज्ञान)

 ✍ वासुदेव प्रजापति आज हमारे देश में नाम को लेकर बहस छिड़ी हुई है। जो राष्ट्रवादी हैं, वे मानते हैं कि हमारे देश का नाम…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 91 (दायित्व बोध का अभाव)

 ✍ वासुदेव प्रजापति अंग्रेजी राज्य ने अपने हित के लिए हमारे सामाजिक ढ़ाँचे को छिन्न-भिन्न कर दिया। हमारे यहाँ व्यवस्थाओं का विकेंद्रीकरण था, अंग्रेजों ने…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 90 (ईश्वर प्रदत्त सम्पदाओं का नाश)

 ✍ वासुदेव प्रजापति हमारी मान्यता है कि अव्यक्त परमात्मा ने इस सृष्टि की रचना की है। इस सृष्टि में केवल मनुष्य ही नहीं हैं, अन्य…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 89 (श्रमनिष्ठा का अभाव)

 ✍ वासुदेव प्रजापति भारत में आदिकाल से श्रेष्ठ समाज व्यवस्था रही है। श्रेष्ठ समाज में दो विशेष बातें होती हैं, एक समृद्धि और दूसरी संस्कृति।…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 88 (यंत्रों का अन्धाधुन्ध प्रयोग)

 ✍ वासुदेव प्रजापति यंत्र मनुष्य जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। बिना यंत्र के उसका जीवन चल नहीं सकता। प्रातः जगने से लेकर रात्रि…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 87 (शिक्षा का बाजारीकरण)

 ✍ वासुदेव प्रजापति हमारे देश में शिक्षा, चिकित्सा तथा धर्म अनादि काल से सेवा के क्षेत्र रहे हैं। सेवा से हमारा तात्पर्य आज की भाँति…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 86 (भौतिक आधार के दुष्परिणाम)

 ✍ वासुदेव प्रजापति पश्चिमी जीवन विचार और भारतीय जीवन विचार में आधारभूत अन्तर है। जहाँ पश्चिम ने भौतिकता को आधार बनाया है, वहीं भारत ने…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 85 (भारतीय परिवार परम्परा पर आघात)

 ✍ वासुदेव प्रजापति पश्चिम की व्यक्तिकेन्द्री व्यवस्था का दुष्परिणाम भारतीय स्त्रियों पर सर्वाधिक हुआ। स्त्रियों पर हुए दुष्परिणामों का असर परिवार इकाई पर होना स्वाभाविक…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 84 (व्यक्तिकेन्द्री व्यवस्था के दुष्परिणाम)

 ✍ वासुदेव प्रजापति भारतीय शिक्षा का पश्चिमीकरण जिन सिद्धांतों के आधार पर किया गया, उनमें “व्यक्तिकेन्द्री जीवन रचना” प्रमुख सिद्धांत है। व्यक्तिकेन्द्री जीवन रचना से…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 83 (बुद्धि विभ्रम के कारण व परिणाम)

 ✍ वासुदेव प्रजापति अब तक हमने अंग्रेजी शिक्षा का हमारे मन और बुद्धि पर क्या परिणाम हुआ उसे जाना, अब हम ये जानेंगे कि उन्होंने…