पढ़ेंगे तभी बढ़ेंगे – २

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर पुस्तक खुलते ही अपने को पंख लगे होने का अनुभव होता है। ‘When books are opened, you discover you have wings’…

पढ़ेंगे तभी बढ़ेंगे – १

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर वाचन अध्ययन का पहला पायदान है। अध्ययन की शुरुआत वाचन से ही होती है। आगे तो हम अनेक कौशल्य देखने वाले…

समय का मोल

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर असीम विद्या, अल्प समय है झर झर ऐसा दौड़ेगा, वीर कितने हो न तुम, अंत तो आ ही जायेगा!! ये पंक्तियां…

याद रखें भी कैसे?

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर वैभवी अभ्यास तो बहुत करती है, प्रामाणिकता से। परन्तु उसमें कुछ बाधाएँ हैं। ‘सर मैं पढ़ती तो बहुत हूँ, परन्तु भूल…

तुलना, स्पर्धा स्वयं से!!

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर एक अत्यंत गरीब आदमी, भरी दोपहरी में, तपती धूप में, बगैर चप्पल पहने, रास्ते से जा रहा था। धूप से पैर…

एकाग्रता – ज्ञान की चाभी

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर स्वामी विवेकानन्द एक बार एक छोटे से पुल से जा रहे थे, पुल के नीचे बहुते हुए पानी में अंडों के…

दोस्तों से सीखें और सिखाएं

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर   हम किससे और कितना सीखते हैं यह संस्कृत के विद्वानों द्वारा सुंदर रीति से प्रस्तुत किया गया है – आचार्यात…

ध्यान रहे लक्ष्य पर

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर “हां जी, टिकट दिखाइए जल्दी अपना अपना रेलवे का टिकट निरीक्षक यात्रियों के बीच हाथ में चार्ट लेकर बोला! पांच-छह यात्रियों…

सुनिए कान, मन, आंखों से’!

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर धोंडोजी और गुंड्रोजी एक बार रास्ते में मिले, आपस में बातचीत होने लगी! धोंडोजी गुंडों जी से पूछने लगे- कहो गुंडों…

स्वयं दें मन को सूचना

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर हम निरंतर बोलते रहते हैं- एक प्रकार से अन्य व्यक्ति के साथ जो तेज आवाज के साथ प्रक्रिया है। और दूसरे…