याद रखें भी कैसे?

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर

वैभवी अभ्यास तो बहुत करती है, प्रामाणिकता से। परन्तु उसमें कुछ बाधाएँ हैं। ‘सर मैं पढ़ती तो बहुत हूँ, परन्तु भूल जाती हूँ। याद ही नहीं रहता कुछ!’ रुआंसी होती हुई, आंखों में आंसू छुपाते हुए वैभवी बोली!

‘क्या करें याद रखने के लिए?’ कातर होकर उसने पूछा!

यह समस्या एक वैभवी की ही नहीं, वरन सैकड़ों, हजारों छात्र-छात्रों की हैं। ध्यान लगता ही नहीं, और ध्यान में रहता ही नहीं, ये हमारे ध्यान में आई समस्याएं हैं बच्चों की!

आज हमें याद रहता क्यों नहीं, याद कैसे रखें, इस हेतु क्या करें, इन पर विचार करें। कभी कभी तो याद रहता नहीं ऐसा हमें अनावश्यक ही लगता है। हमने अभ्यास तो किया परन्तु कुछ समय पश्चात लगता है याद ही नहीं, कुछ! पढ़ा हुआ! यह भय बढ़ता जाता है। वास्तव में देखा जाए तो हमारा अभ्यास किया हुआ भाग दिमाग के कक्ष में जाकर रह जाता है और परीक्षा के समय अथवा अन्य आवश्यकतानुसार वह उछलकर दिमाग से बाहर आ जाता है और अपनी आवश्यकता की पूर्ति करता है।

अनेक लोगों को याद नहीं रहता यह शिकायत भी झूठी नहीं है। आजकल ‘याद्दाश्त वृद्धि’/ स्मरण शक्ति वृद्धि हेतु अनेक कार्यशालाएं आयोजित की जाती है। ‘यू- ट्यूब’ द्वारा भी इस संदर्भ में कुछ विधियां आदि प्राप्त होती है। हम याद रखने हेतु सहायक होंगी ऐसी कुछ पद्धति, तंत्र पर चर्चा करेंगे-

(१) वाचन, वाचन, वाचन – जो भी हम बार बार देखते हैं और सुनते हैं वह ध्यान में रहता है। यह है सीधा सा सरल सहज सूत्र इसका प्रत्यक्ष उपयोग करके देखो। बार बार अनेक बार, पढ़ो, वाचन करो। वाचन भी एक बड़ा ही व्यापक और स्वतंत्र विषय है। इसे स्वतंत्र रूप से देखें। परन्तु आप पुस्तकें, अध्याय, प्रश्नोत्तर बार बार पढ़ें। हर बार के वाचन में नई नई बातें, जिनका पूर्व के वाचन में ज्ञान न हुआ था, ऐसी अनेक बातें समझ में आती हैं, बिल्कुल आश्चर्यजनक जैसी!

(२) सुनते रहें – अपनी ही आवाज में अपनी पुस्तकों के अध्याय, कविता, सूत्र, सुभाषित, रिकॉर्ड करें और आते जाते समय समय पर उसे सुनते रहें। बाज़ार में इस हेतु उपयोगी अनेक साधन जैसे रिकॉर्डर, स्पीकर्स और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण उपलब्ध रहते हैं। एक बार क्रय किया हुआ समान, सम्पूर्ण शैक्षणिक जीवन पर्यन्त उपलब्ध रहेगा।

(३) वाचन करते हुए लिखें – कई लोग केवल वाचन करते हैं। वाचन करते समय मन कहीं भटकता रहता है। वह कितनी दूर गया यह जानना कठिन ही है। इसलिए वाचन करते समय अपने पास पेंसिल, पेन, मार्कर, कागज आदि वस्तुएं अवश्य रखें। मुद्दे, बिंदु आदि लिखना सहायक है। महत्वपूर्ण अंश मार्कर से अधोरेखित करें। रंगों के कारण वे शब्द, वाक्य, समूह, आंखों में भरकर मन में छा जाते है।

(४) अन्य लोगों से भी कहें – हम अनेक विनोद प्रसंग, कहानियां आदि पढ़ते हैं। कितने ही सिनेमा देखें होंगे, परन्तु अभी पांच विनोद प्रसंगों का वर्णन करो कहें तो क्या?…..

जो हमने पढ़ा हो, जो देखा हो (नाटक, सिनेमा दूरदर्शन आदि द्वारा) वह यदि किसी को बताया जाए, सुनाया जाए तभी हमारे ध्यान में रहता है। जितने अधिक लोगों को सुनाया जाए, उतना ही अधिक याद रहेगा। करके देखो, अच्छा अनुभव होगा।

(५) आकृति चित्र बनाओ – जिस बात को याद रखना है, अथवा जो बात हम वाचन करते हैं, उससे पूरक अथवा संबंधित, उसकी कल्पना के आधार पर, चित्र बनाए, आकृति बनाएं। इस हेतु हमें बड़ा चित्रकार बनने की आवश्यकता नहीं है। चित्रकार अपने चित्र के लिए जितना परिश्रम करता है जितना कौशल्य दर्शाता है, उतना करने की आवश्यकता नहीं है। केवल मोटे तौर पर रेखांकन कर लें उतना पर्याप्त होगा। उसका अर्थ हमें स्वयं समझ में आए उतना पर्याप्त होगा, कोई प्रदर्शनी में थोड़े ही रखना है।

(६) रुचि और इच्छा :- किस खिलाड़ी द्वारा, कौन से खेल के, किस जगह के खेल में, किसके साथ खेलते हुए, कैसा उल्लेखनीय प्रदर्शन किया यह सब अनेक लोगों को अच्छी प्रकार याद रहता है। देखे हुए अथवा ना देखे हुए चित्रपूटों के कितने ही गाने याद हो जाते हैं कि नहीं? यह क्यों और कैसे संभव हो जाता है? कारण स्पष्ट है। वह रुचिकर होता है इसलिए इच्छा के अनुसार होता है। तीव्र इच्छा, और रुचि हो, तो याद रखने में कोई बाधा नहीं रहती।

(७) पौष्टिक आहार – समय पर और उचित पौष्टिक आहार अपनी याद्दाश्त, स्मृति बढ़ाने में सहायक होते हैं। फास्ट्र फूड्र, जंक फूड, मसालेदार चटपटे खाद्य पदार्थ खाने से स्मृति को बल नहीं मिलता, नुकसान ही होता है। मुनक्का, बादाम, अखरोट का सेवन उपयुक्त है।

(८) व्यायाम – सूर्यनमस्कार, डंड बैठक, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैरना, पैदल चलना ऐसे अनेक प्रकार के व्यायाम हैं। परन्तु दुस-बीस मिनट प्रतिदिन एरोबिक व्यायाम (आजकल अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं।) स्मृति को बल देने वाले होते हैं।

इसके अतिरिक्त अनेक ‘स्मृति तंत्र’ (Memory Techniques) हैं। वे इतनी आसानी से समझ में ना आने वाले होने से यहां उनका उल्लेख नहीं किया है। इस हेतु प्रत्यक्ष स्वयं ही कार्यशाला में जाना उचित होगा।

ध्यान रखने के लिए यह सब ध्यान में रखें!!

(लेखक शिक्षाविद, स्वतंत्र लेखक, चिन्तक व विचारक है।)

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