ध्यान रहे लक्ष्य पर

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर

“हां जी, टिकट दिखाइए जल्दी अपना अपना रेलवे का टिकट निरीक्षक यात्रियों के बीच हाथ में चार्ट लेकर बोला! पांच-छह यात्रियों ने अपनी जेब-बैग से निकालकर टिकट दिखाया। खिड़की के पास बैठे चिंतामन राव ने भी अपनी जेब में हाथ डाला, परन्तु जेब में टिकट नहीं था। जेब से पॉकेट पर्स बाहर निकाल कर देखा परन्तु उसमें भी टिकट नहीं था। वे हडबड़ा गए!

“देख कर रखता हूँ, तब तक आप आगे टिकट निरक्षण करें ऐसा कहने पर वह परीक्षक चला गया। फिर चिंतामन राव ने अपने सारे बैग खोलकर देखा किंतु टिकट नहीं मिला! इस तलाश कार्य में बहुत समय निकल गया। टिकट परीक्षक फिर वापस आया, तब तक भी चिंतामन राव टिकट के खोजने में जुटे थे। ऐसी परिस्थिति में और पसीने से लथपथ चिंतामन राव को देखकर परीक्षक बोला- ‘कोई बात नही, आपने निश्चित ही टिकिट खरीदा होगा। बगैर टिकट के आप यात्रा नहीं करेंगे ऐसा आपको देखकर मुझे विश्वास है। बैठो आप आराम से।

इतना कहकर वह टिकट परीक्षक अगले डिब्बे में चला गया। फिर भी ये महाशय टिकट तलाशने में व्यस्त थे। यह देखकर सामने बैठा सहयात्री बोला- अजी, जाने दो, टिकट परीक्षक ने आपको बोला है न तुम आराम से बैठो।

यह सुनकर, अभी भी टिकट बैग में ढूंढते हुए चिंतामन राव बोले- “वह तो ठीक है, परीक्षक को टिकट की आवश्यकता नहीं, परन्तु मुझे तो है न? मुझे कहाँ जाना है ये तो उस टिकट में ही तो लिखा है। टिकट नहीं मिला तो मुझे कहाँ उतरना है। ये मैं कैसे जान पाऊंगा?”

अब उपरोक्त घटना का विनोद और अतिशयोक्ति का अंश छोड़ दिया जाए तो फिर भी एक महत्वपूर्ण बात अवश्य ध्यान आकर्षित करती है। मुझे कहाँ जाना है यह निश्चित ही जानना होगा, ध्यान रखना होगा। उसमें भूल होना क्षम्य नहीं। विद्यार्थी होने से मुझे क्या प्राप्त करना है इसकी निश्चित कल्पना होनी चाहिए। वह नहीं होने पर एक जल जहाज – बगैर सुकाणु के जैसी स्थिति होगी। इसी को हम कहते हैं ‘उद्देश्य’ ‘उद्दिष्ट’ – (Goal).

‘उद्देश्य’ दो प्रकार के होते हैं- अल्पकालीन (Short term) और ‘दीर्घकालीन’ (Long term).

डाक्टर, इंजीनियर, लेखक, वास्तुविद बन जाना (तैयार) ये है ‘दीर्घकालीन’ उद्दिष्ट परन्तु इस हेतु उसके जैसे बनने हेतु अनेक परीक्षाएं देनी पड़ती हैं। उनमें यशस्वी होने पर… अर्थात ये अल्पकालीन उद्दिष्ट प्राप्त करने के पश्चात ही दीर्घकालीन उद्दिष्ट प्राप्त होता है।

दसवीं की परीक्षा में उच्चस्तरीय यश प्राप्ति हेतु भी इसके पूर्व की छोटे स्तर की परीक्षाएं अर्थात ‘अल्पकालीन’ उत्तीर्ण करनी पड़ती हैं।

Journey of hundred miles begins with one step ऐसा कहते हैं।

यदि सौ मील लंबा, बड़ा उद्दिष्ट (दीर्घकालीन) माना जाए तो एक एक छोटे पग-छोटे उद्दिष्ट (अल्पकालीन) कहलाएंगे! ठीक है न?

स्पष्ट ‘उद्देश्य’ – उद्दिष्ट लेकर चलें, और उसका निरंतर स्मरण रखें तो वह उद्धिष्ट अटल रहता है, उत्साह बना रहता है। उद्दिष्ट स्पष्ट न होने पर, निश्चित न होने पर, समय नष्ट हो जाता है। साधन सामग्री का भी अपव्यय हो जाता है।

Not failure but low aim is a crime यह सुविचार तो हम जानते ही हैं। अपयश गुनाह नहीं है, परन्तु आंखों के समक्ष कुछ ध्येय, उद्दिष्ट ही न रखना अपराध है। उद्दिष्ट निश्चित करते समय अतिविश्वास और अल्प विश्वास दोनों नहीं होने चाहिए। अपनी बड़ाई भी नहीं और न्यूनगंड भी नहीं रहना चाहिए।

आजकल उद्दिष्ट तय करते समय एक शब्द का उपयोग हो रहा है – स्मार्ट (Smart) उद्दिष्ट! इस शब्द में पांच अक्षर हैं। (अंग्रेजी में ‘SMART’) ‘SMART’ अर्थात क्या?

(१) Specific (२) Measurable (३) Ambitious (४) Realistic (५) Time bound

‘स्मार्ट’ शब्द आजकल बहुत लोकप्रिय है।

(१) Specific: उद्देश्य स्पष्ट निश्चित होना चाहिए। मुझे 70-80 प्रतिशत अंक प्राप्त करना है यह निश्चित उद्देश्य नहीं है। 70 और 80 में पर्याप्त अंतर है। हमें यह निश्चित उद्देश्य रखना होगा कि 70 या 73 या 80 प्रतिशत! स्पष्टता, निश्चितता आवश्यक अनुमान, अंदाज लगभग आदि न हो।

(२) Measurable: गिनती करने योग्य, मापन करने योग्य। गत समय इकहत्तर प्रतिशत प्राप्त हुए, इस बार अठहत्तर प्रतिशत प्राप्त करना है। यह गणना योग्य है।

(३) Ambitious: महत्वाकांक्षा मानो हमें छः माही परीक्षा में 50% अंक मिले हो तब वार्षिक परीक्षा में पचपन प्रतिशत अंक प्राप्त करना ये कोई महत्वाकांक्षी उद्देश्य नहीं माना जाएगा। 55% प्राप्त करने का कोई आह्वानात्मक उद्देश्य नहीं माना जाएगा। 50 से 60 प्रतिशत तक की उछाल लाना एक आह्वान माना जा सकता है। इस हेतु कुछ परिश्रम आवश्यक हो जाएगा। बिल्कुल सहजता से, सरलता से प्राप्त कर सकने का उद्देश्य कोई आह्वान नहीं, कुछ मज़ा नहीं!

(४) Realistic: उद्देश्य निश्चित करते समय यह देखना आवश्यक है कि उसमें वास्तविकता हो। पैंतीस प्रतिशत से नब्बे प्रतिशत अंक प्राप्त करने का उद्देश्य रखें तो यह वास्तविक नहीं हो सकता है इसमें कोई संदेह नहीं। अनावश्यक रूप से हवा में बंगले बनाने का उद्देश्य रखना उचित नहीं!

(५) Time bound: निश्चित समय में उद्देश्य की पूर्ति होना निश्चित समय पर परीक्षा आयोजित होगी। तब तक उस परीक्षा में उद्देश्य प्राप्त करना समय मर्यादा का पालन करने जैसा है।

Setting goal is the first step in turning the invisible into visible.

(लेखक शिक्षाविद, स्वतंत्र लेखक, चिन्तक व विचारक है।)

और पढ़ें : सुनिए कान, मन, आंखों से’!

One thought on “ध्यान रहे लक्ष्य पर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *