– नम्रता दत्त भारतीय दर्शन में शैशवास्था को शून्य से पांच वर्ष माना गया है। इसीलिए स्वामी शंकराचार्य जी ने कहा – लालयेत् पंचवर्षाणि, दश…
Category: शिशु शिक्षा
शिशु शिक्षा – 6 – शिशु विकास की विभिन्न अवस्थाएं
– नम्रता दत्त इस सृष्टि में जो भी सजीव जन्म लेता है वह सतत् विकसित होता है अतः उसकी अवस्थाओं में परिवर्तन होना स्वाभाविक ही…
शिशु शिक्षा – 5 – परिवार में शिशु संगोपन (पालना) की व्यवस्था
– नम्रता दत्त गत सोपान में हमने लालयेत् पंचवर्षाणि पर चिन्तन किया था। उस सोपान में हमने विचार किया कि शिशु का पांच वर्ष तक…
शिशु शिक्षा – 4 (लालयेत् पंचवर्षाणि)
– नम्रता दत्त शिशु शिक्षा की श्रृंखला के गत तीन सोपानों में हमने शिक्षा क्या है एवं शिशु क्या है तथा वर्तमान में शिशु शिक्षा…
शिशु शिक्षा – 3 (जीवन विकास की मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया)
– नम्रता दत्त शिशु शिक्षा की इस श्रृंखला में हम मनोविज्ञान के आधार पर जीवन के विकास की यात्रा पर विचार एवं चिन्तन करेंगे। यह…
शिशु शिक्षा – 2 (वर्तमान अवधारणा एवं भारतीय अवधारणा)
– नम्रता दत्त जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने शिक्षा के संदर्भ में कहा – ‘सा विद्या या विमुक्तये’। ‘शिक्ष’ धातु से उत्पन्न शिक्षा का अर्थ है…
शिशु शिक्षा – 1 (राष्ट्र, शिक्षा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति)
– नम्रता दत्त वर्तमान समय में शिक्षा जगत में ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ की चर्चा अधिकांशतः हो रही है। सन् 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति…
आईये बात करें
– राजेन्द्र सिंह बघेल बैंगलूर में एक संस्था है उसका नाम है, “अखिल भारतीय मानसिक स्वास्थ्य संगठन” (All India National Institute of mental health) ।…
कक्षा में शैक्षिक परिणाम-एक अनुभव
– राजेन्द्र बघेल प्रत्येक मनुष्य अपने द्वारा किए गए कार्य का अच्छा परिणाम चाहता है। इसके लिए वह विभिन्न प्रकार के प्रयत्न भी करता है।…