भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 108 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा परिवार में करणीय प्रयास-2)

 ✍ वासुदेव प्रजापति भारत में परिवार, शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यह संस्कृति की शिक्षा है। हमारे यहाँ शास्त्र शिक्षा को छोड़कर सब प्रकार…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 107 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा-परिवार में करणीय प्रयास-1)

 ✍ वासुदेव प्रजापति भारत में समाजव्यवस्था की मूल इकाई व्यक्ति नहीं, परिवार है। परिवार एकात्म संकल्पना का सामाजिक रूप है। व्यक्ति परिवार का अंग बनकर…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 106 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – व्यक्तिगत जीवन में करणीय प्रयास-2)

 ✍ वासुदेव प्रजापति भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा करने हेतु स्वदेशी दृष्टिकोण होना आवश्यक है। हमारे व्यक्तिगत जीवन में उपयोगी सभी वस्तुएँ स्वदेशी होनी चाहिए, परन्तु…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 104 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – अनुसंधान की देशव्यापी योजना)

 ✍ वासुदेव प्रजापति अध्ययन व अनुसंधान की देशव्यापी योजना बनाने से पूर्व हमें अनुभूति प्रमाण, धर्म प्रमाण और वेद प्रमाण पर पूरे देश में, विशेष…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 103 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – अनुसंधान में प्रमाण व्यवस्था)

 ✍ वासुदेव प्रजापति जब हम अध्ययन-अनुसंधान विषय पर विचार करते हैं तो सबसे पहला विचारणीय बिन्दु प्रमाण व्यवस्था ध्यान में आता है। क्योंकि अध्ययन-अनुसंधान के…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 101 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – भारतीय जीवनदृष्टि एवं शोधदृष्टि)

 ✍ वासुदेव प्रजापति किसी भी देश के वैचारिक क्षेत्र में जब अनवस्था होती है तब उसके सामाजिक जीवन में अव्यवस्थाएँ फैलती हैं। समाज में चिन्तन-मनन…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 100 (साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाना)

 ✍ वासुदेव प्रजापति गत अध्याय में हमने सामाजिक समरसता निर्माण करने के विषय में जाना। सामाजिक समरसता के समान ही दूसरा महत्वपूर्ण विषय साम्प्रदायिक सौहार्द…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 97 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा के करणीय प्रयास)

 ✍ वासुदेव प्रजापति ‘ज्ञान की बात’ का आज से पाँचवें वर्ष में प्रवेश हो रहा है। अब तक हमने 96 ज्ञान की बातों का पठन…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 95 (यूरोपीकरण और साम्यवाद)

 ✍ वासुदेव प्रजापति आजकल हमारे देश में साम्यवाद शब्द बड़ा प्रचलित है। यह साम्यवाद शब्द भी यूरोपीकरण का ही एक आयाम है। हमारे यहाँ अंग्रेजी…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 94 (भारत में अंग्रेजों के छद्म उद्देश्य)

 ✍ वासुदेव प्रजापति अंग्रेजों का भारत में आने का मुख्य उद्देश्य तो लूट करना ही था। वे यह लूट दीर्घकाल तक कर सकें इसलिए उसे…