भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 111 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा विद्यालय में करणीय प्रयास-2)

 ✍ वासुदेव प्रजापति वर्तमान ढ़ाँचें की परिष्कृति शिक्षा के वर्तमान ढाँचें में सबसे पहले आन्तरिक परिष्कृति की आवश्यकता है। आन्तरिक परिष्कृति के उपाय बहुत सरल…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 110 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा विद्यालय में करणीय प्रयास-1)

 ✍ वासुदेव प्रजापति विद्यालय समाज में ज्ञान का केन्द्र है। वहाँ जैसी ज्ञान की साधना होती है, वैसा ही समाज का सत्त्व निर्माण होता है।…

साहसी बालक राजेन्द्र नीलकंठ

✍ गोपाल माहेश्वरी शेष रहती है लड़ाई वीर की अंतिम क्षणों तक। देशभक्ति है बसी होती सदा जिनके मनों तक।। “तो क्या नेताजी के न…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 109 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा परिवार में करणीय प्रयास-3)

 ✍ वासुदेव प्रजापति परिवार में छोटे-बड़े अनेक सदस्य होते हैं। उन सबके स्वभाव, रुचि-अरुचि, गुण-दोष, क्षमताएँ आदि भिन्न-भिन्न होते हैं। कभी-कभी एक दूसरे की विरोधी…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 108 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा परिवार में करणीय प्रयास-2)

 ✍ वासुदेव प्रजापति भारत में परिवार, शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यह संस्कृति की शिक्षा है। हमारे यहाँ शास्त्र शिक्षा को छोड़कर सब प्रकार…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 107 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा-परिवार में करणीय प्रयास-1)

 ✍ वासुदेव प्रजापति भारत में समाजव्यवस्था की मूल इकाई व्यक्ति नहीं, परिवार है। परिवार एकात्म संकल्पना का सामाजिक रूप है। व्यक्ति परिवार का अंग बनकर…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 106 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – व्यक्तिगत जीवन में करणीय प्रयास-2)

 ✍ वासुदेव प्रजापति भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा करने हेतु स्वदेशी दृष्टिकोण होना आवश्यक है। हमारे व्यक्तिगत जीवन में उपयोगी सभी वस्तुएँ स्वदेशी होनी चाहिए, परन्तु…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 104 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – अनुसंधान की देशव्यापी योजना)

 ✍ वासुदेव प्रजापति अध्ययन व अनुसंधान की देशव्यापी योजना बनाने से पूर्व हमें अनुभूति प्रमाण, धर्म प्रमाण और वेद प्रमाण पर पूरे देश में, विशेष…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 103 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – अनुसंधान में प्रमाण व्यवस्था)

 ✍ वासुदेव प्रजापति जब हम अध्ययन-अनुसंधान विषय पर विचार करते हैं तो सबसे पहला विचारणीय बिन्दु प्रमाण व्यवस्था ध्यान में आता है। क्योंकि अध्ययन-अनुसंधान के…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 101 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – भारतीय जीवनदृष्टि एवं शोधदृष्टि)

 ✍ वासुदेव प्रजापति किसी भी देश के वैचारिक क्षेत्र में जब अनवस्था होती है तब उसके सामाजिक जीवन में अव्यवस्थाएँ फैलती हैं। समाज में चिन्तन-मनन…