आदर्श शिक्षक प्रो. राजेन्द्र सिंह ‘रज्जू भैया’ – 1

– राजेश लिटौरिया ‘प्रकाश’ श्रीमद्भगवत्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- ‘न हि ज्ञानेन सदृश पवित्रमिह विद्यते।’ अर्थात् ज्ञान के समान पवित्र करने वाला संसार में…

भारतीय ज्ञान का खजाना – 3 (भारत की प्राचीन कलाएं – भाग दो)

–  प्रशांत पोळ अक्सर छत्तीसगढ़ राज्य को हम नक्सलवाद से प्रभावित और अशांत प्रदेश के रूप में पहचानते हैं। परन्तु यह छत्तीसगढ़ का वास्तविक रूप…

भारतीय ज्ञान का खजाना – 3 (भारत की प्राचीन कलाएं – 1)

–  प्रशांत पोळ विश्व के किसी भी भूभाग में यदि किसी संस्कृति को टिके रहना है, जीवंत रहना है, तो उसे परिपूर्ण होना आवश्यक है।…

भारत की स्वतन्त्रता में नागा वीरांगना रानी माँ गाईदिन्लियु का योगदान

 – पंकज सिन्हा एक वीरांगना थी। कालांतर में उनके अपने ही नहीं, अपितु जो भी उनके संपर्क में आया, वे सभी उन्हें रानी माँ ही…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 50 (विषयों का अंगांगी सम्बन्ध)

 – वासुदेव प्रजापति आज की शिक्षा व्यवस्था में सभी पठनीय विषयों को समान महत्त्व दिया जाता है। सभी विषय समान महत्त्व के नहीं हो सकते,…

स्वतन्त्रता का सूर्य – नेताजी सुभाष बोस

– डा. हिम्मत सिंह सिन्हा सुभाष चन्द्र बोस भारत के क्षीतिज पर उज्ज्वल नक्षत्र बनकर उभरे – कवियों ने ऐसा यशोगान किया है। जनवरी 1992…

वीर सावरकर कृत ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ पुस्तक का इतिहास

 – रवि कुमार कहते हैं 1857 की क्रांति विफल हुई। क्या यह कहना सही है? नहीं! 1857 का महासंग्राम उसके बाद की पीढ़ियों को स्वतंत्रता…

राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्रौढ़ शिक्षा

 – डॉ० रवीन्द्र नाथ तिवारी शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त कर, समाज और राष्ट्र को विकास के पथ पर अग्रसर एवं निरंतर बढ़ने हेतु…

विद्यालय का संस्कारक्षम वातावरण

 – राणा प्रताप सिंह जिसके लिए प्रत्येक माता-पिता व शिशु तृषित नेत्रों से निहारते रहते हैं। बालक के विकास में वैयक्तिक प्रतिभा (वंश परम्परा की…

राष्ट्र जीवन में मकर संक्रांति का महत्व

 – डॉ. राम देशमुख मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्रियाकलापों का उसके परिवार, वह जिस समाज में रहता है वह समाज एवं प्रकृति के साथ घनिष्ठ़…