✍ सुखदेव वशिष्ठ विश्व में देश व धर्म की रक्षार्थ अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महापुरुष तो अनेक मिलेंगे परंतु अपनी तीन पीढ़ियों को इस…
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नई संवत् की नई भोर
✍ गोपाल माहेश्वरी नवल और किसलय नववर्ष की तैयारियां करने में जुटे थे। हुआ यह कि अनके पिताजी का स्थानांतरण होने से वे इस महानगर…
बच्चन-झगरू-छटू की तिकड़ी
✍ गोपाल माहेश्वरी जिस दिन शंकर का त्रिशूल भी चूक जाए संधानों से। उस दिन रुकने की आशा करना भारत संतानों से।। गीता कहती है…
रामायण सत कोटि अपारा-3 (साहित्य जगत में राम का नाम)
✍ रवि कुमार बाईस जनवरी को अयोध्या जी में रामलला की मूर्ति स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा से सम्पूर्ण देश का जो वातावरण राममय हुआ, उसके…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 101 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – भारतीय जीवनदृष्टि एवं शोधदृष्टि)
✍ वासुदेव प्रजापति किसी भी देश के वैचारिक क्षेत्र में जब अनवस्था होती है तब उसके सामाजिक जीवन में अव्यवस्थाएँ फैलती हैं। समाज में चिन्तन-मनन…
लोकनायक श्रीराम – ३
✍ प्रशांत पोळ मुनीश्रेष्ठ विश्वामित्र के साथ श्रीराम और लक्ष्मण चल रहे हैं। वें गंगा नदी पार कर, दक्षिण तट पर आते हैं। प्रवास पुनः…
पढ़ेंगे तभी बढ़ेंगे – १
✍ दिलीप वसंत बेतकेकर वाचन अध्ययन का पहला पायदान है। अध्ययन की शुरुआत वाचन से ही होती है। आगे तो हम अनेक कौशल्य देखने वाले…
बाल बलिदानी रामचन्द्र
✍ गोपाल माहेश्वरी मातृ भू की पीर की करना पढ़ाई जानते थे। रक्त से जय मातृ भू की वे लिखाई जानते थे।। खाली समय में…
विश्वहित का अनुसंधान यज्ञ
✍ गोपाल माहेश्वरी उनके सामने मिट्टी की दो मटकियां, एक बड़े से कटोरे जैसे पात्र में बारीक छनी हुई मिट्टी का गाढ़ा घोल और कपड़े…
इंद्र विद्यावाचस्पति की राष्ट्र को देन
✍ प्रोफेसर बाबूराम विश्व में जीवन यापन की दो दिशाएं हैं – 1. संस्कृतिमूल्क 2. सभ्यतामूलक। भारतवर्ष विश्व के प्राचीनतम देश की अपेक्षा राष्ट्र अधिक…