– वासुदेव प्रजापति मनो ब्रह्मेति व्यजानात् आपके ध्यान में आया होगा कि एक ही कथा निरन्तर चल रही है। पुत्र भृगु अपने पिता वरुण के…
Category: ज्ञान की बात
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-29 (प्राणमय कोश का विकास)
– वासुदेव प्रजापति प्राणों ब्रह्मेति व्यजानात् इससे पूर्व की कथा में पिता वरुण के कहने पर भृगु ने तप किया और तप करके जाना कि…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-28 (अन्नमय कोश का विकास)
– वासुदेव प्रजापति अब तक हमने जाना कि व्यक्तित्व विकास का भारतीय प्रतिमान है – “समग्र विकास प्रतिमान।” समग्र विकास प्रतिमान के दो आयाम हैं…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-27 (भारतीय शिक्षा का प्रतिमान : समग्र विकास)
– वासुदेव प्रजापति आज का विषय प्रारम्भ करने से पूर्व एक संस्मरण का स्मरण कर लेते हैं – मैडम मैं नाली बना रहा हूँ यह…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-26 – (व्यक्ति, व्यक्तित्व और विकास)
– वासुदेव प्रजापति आजकल “व्यक्तित्व विकास” शब्द अत्यधिक प्रचलित है। अनेक व्यक्ति व संस्थान व्यक्तित्व विकास शब्द के स्थान पर “पर्सनेलिटी डेवलपमेंट” शब्द का प्रयोग…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-25 – (दूसरे वर्ष में प्रवेश)
– वासुदेव प्रजापति “ज्ञान की बात” एक पाक्षिक स्तंभ है, जिसकी अब तक 24 कड़ियां आ चुकी हैं। अर्थात् इसे प्रारंभ हुए अब तक एक…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-24 – (दान)
– वासुदेव प्रजापति भारतीय शिक्षा की एक प्रमुख विशेषता अर्थ-निरपेक्षता है। आज हमनें पश्चिमी शिक्षा से प्रभावित होकर जीवन में अर्थ को सर्वोपरि मान…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-23 – भिक्षा (मधुकरी)
– वासुदेव प्रजापति भिक्षा नाम सुनते ही हमारे मन में हेय भाव आता है। क्यों? इसलिए कि भिक्षा मांगने वाला बिना किसी मेहनत के और…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-22 (गुरु दक्षिणा)
– वासुदेव प्रजापति भारतीय शिक्षा व्यवस्था आज की शिक्षा व्यवस्था से अनेक बातों में श्रेष्ठ है। भारत में शिक्षा का विचार अर्थ के साथ जोड़कर…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-21 (शिक्षा की अर्थ निरपेक्ष व्यवस्था)
– वासुदेव प्रजापति आज देश के गाँव-गाँव तथा गली-गली में विद्यालय खुलते जा रहे हैं। क्यों? क्योंकि हमने शिक्षा को व्यवसाय बना लिया है।…