भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-27 (भारतीय शिक्षा का प्रतिमान : समग्र विकास)

 – वासुदेव प्रजापति आज का विषय प्रारम्भ करने से पूर्व एक संस्मरण का स्मरण कर लेते हैं – मैडम मैं नाली बना रहा हूँ यह…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-26 – (व्यक्ति, व्यक्तित्व और विकास)

 – वासुदेव प्रजापति आजकल “व्यक्तित्व विकास” शब्द अत्यधिक प्रचलित है। अनेक व्यक्ति व संस्थान व्यक्तित्व विकास शब्द के स्थान पर “पर्सनेलिटी डेवलपमेंट” शब्द का प्रयोग…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-25 – (दूसरे वर्ष में प्रवेश)

 – वासुदेव प्रजापति “ज्ञान की बात” एक पाक्षिक स्तंभ है, जिसकी अब तक 24 कड़ियां आ चुकी हैं। अर्थात् इसे प्रारंभ हुए अब तक एक…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-24 – (दान)

 – वासुदेव प्रजापति भारतीय शिक्षा की एक प्रमुख विशेषता अर्थ-निरपेक्षता है। आज हमनें पश्चिमी शिक्षा से प्रभावित होकर जीवन में अर्थ को सर्वोपरि मान लिया…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-23 – भिक्षा (मधुकरी)

 – वासुदेव प्रजापति भिक्षा नाम सुनते ही हमारे मन में हेय भाव आता है। क्यों? इसलिए कि भिक्षा मांगने वाला बिना किसी मेहनत के और…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-22 (गुरु दक्षिणा)

 – वासुदेव प्रजापति भारतीय शिक्षा व्यवस्था आज की शिक्षा व्यवस्था से अनेक बातों में श्रेष्ठ है। भारत में शिक्षा का विचार अर्थ के साथ जोड़कर…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-21 (शिक्षा की अर्थ निरपेक्ष व्यवस्था)

– वासुदेव प्रजापति आज देश के गाँव-गाँव तथा गली-गली में विद्यालय खुलते जा रहे हैं। क्यों? क्योंकि हमने शिक्षा को व्यवसाय बना लिया है। आज…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-20 (अध्यापन)

 – वासुदेव प्रजापति अध्यापन  ( पढ़ाना ) अध्ययन अर्थात् पढ़ना और अध्यापन अर्थात् पढ़ाना। पढ़ना और पढ़ाना दोनों एक ही क्रिया के दो पद हैं।…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-19 (अध्ययन)

 – वासुदेव प्रजापति अध्ययन (पढ़ना) अध्ययन का अर्थ है, “पढ़ना”। पढ़ना और पढ़ाना या अध्ययन और अध्यापन एक ही क्रिया के दो स्वरूप हैं। हम…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-18 (आचार्य और छात्र सम्बन्ध)

 – वासुदेव प्रजापति आज के समय में सामान्य व्यक्ति भी यह कहता है कि हमारे जमाने में आचार्य-छात्र सम्बन्ध जितने मधुर थे, वैसे आज नहीं…