बालवीर सोमा भाई

✍ गोपाल माहेश्वरी अधखिले ही चढ़ गए जो सुमन अपनी मातृभू पर। स्वातन्त्रय उपवन की बहारें श्रद्धा सहित उन पर निछावर।। जीवन में संस्कार बोने…

दृढ़ निश्चयी बालाजी

✍ गोपाल माहेश्वरी चिंगारियाँ अंगार से जब आग लेकर छूटती हैं। बुझने से पहले वह समूचा वन जलाती लूटती हैं।। वह सारी रात जागा था…

साहस का पुतला – रमेशदत्त

✍ गोपाल माहेश्वरी खिल रहा हो फूल जीवन का उसे माँ को चढ़ा दो, जब तिरंगा थामना हो काम छोड़ो कर बढ़ा दो। प्रयागराज युगों-युगों…

स्वतंत्रता के सात दीवाने

✍ गोपाल माहेश्वरी राष्ट्रभक्ति जब छात्रशक्ति के हृदयों में फलने लगती है। पर्वत सी हो विकट चुनौती पत्ते सी हिलने लगती है।। स्वतंत्रता के आन्दोलनों…

शेन्दुर्णी का लाल-सुखलाल

✍ गोपाल माहेश्वरी देश में रह देश के जो शत्रुओं के मित्र हैं। उन शत्रुओं को दण्ड देना कर्म पुण्य पवित्र है। कोई विदेशी शत्रु…

बलिदानी शरिश कुमार

✍ गोपाल माहेश्वरी रक्त में भीगी हुई वे लाल माटी पर पड़े थे, उम्र में छोटे सही वे लाल पर्वत से बड़े थे। जिस समय…

नेतृत्वकर्ता नारायण

 – गोपाल माहेश्वरी स्वातन्त्रय लक्ष्मी के चरण कुंकुम नहीं शोणित धुले हैं। अनगिनत बलिदान देकर माँ के ये बंधन खुले हैं।। स्वतंत्रता हमें तब तक…

जान की बाजी लगा दी बाजी राउत ने

 – गोपाल माहेश्वरी राष्ट्रभक्ति के महाज्वार में उतर चुके जलपोत बड़े थे, तब कुछ नन्हे से नाविक भी ले नन्हीं पतवार लड़े थे।। यह वह…

हठ का धनी शंभुनारायण

 – गोपाल माहेश्वरी मातृभू घायल दिखे तब घाव अपने कौन गिनता? यातनाएँ क्या डिगाएँ मृत्यु तक की नहीं चिंता।। जिन्हें देश के लिए कुछ करना…

आजादी के मतवाले

 – गोपाल माहेश्वरी बलि देकर भी मातृभूमि का मान बढ़ाना आता है। खेल मृत्यु के साथ शत्रा को धूल चटाना आता है।। वे सब दसवीं-बारहवीं…