– डॉ विकास दवे
प्रिय बिटिया!
नववर्ष की शुभकामनाएँ! तुम तो सहज ही समझ गई होंगी कि मैं तुमको हिन्दी नववर्ष की शुभकामना दे रहा हूँ, लेकिन कई बच्चे जो 31 दिसम्बर की रात भर जागे होंगे और 1 जनवरी को अपने सभी संगी-साथियों को ‘हैप्पी न्यू ईयर’ कह चुके होंगे उन्हें लगता होगा कि हम भी पता नहीं किस पुराने जमाने के हैं जो पूरे तीन महीने बाद मार्च में शुभकामनाएँ दे रहे हैं। इन्हें शायद थोड़ा-थोड़ा यह भी पता होगा कि चैत्र प्रतिपदा पर नववर्ष मनाया जाता है लेकिन मन में ‘यह बात कुछ हजम नहीं हुई’ कहकर इसे नाक सिकोड़कर ‘रीजेक्ट’ कर देते हैं।
खैर… जो भी हो अब मजाक बंद कर थोड़ा गंभीरता से विचार करो। जैसे कि भारतीय जनमानस की विशेषता है भारतीय वस्तुओं की अपेक्षा उनहें विदेशी ठप्पा लगी वस्तुओं से बड़ा लगाव होता है। भारत के हजारों उत्पादन मेड इन जापान, यू.ए.एस., चाईना वगैरह-वगैरह लिखकर बाजार में ऊँची कीमतों पर बेचे जा रहे हैं। काल गणना के संबंध में भी यहीं हुआ हजारों वर्षों पुरानी संस्कृति द्वारा पूर्णत: वैज्ञानिक आधार पर बनाई गई काल गणना को विश्व की बाद की संस्कृतियों ने हाशिए पर डाल दिया यह बात अलग है कि विश्वभर के वैज्ञानिकों ने भारतीय कालगणना को श्रेष्ठतम एवं गणितीय आधार पर सत्य पाया है। मैं भी तुम्हारी तरह जब पढ़ता था तब यही विचार मन में आता था कि चैत्र, वैशाख… भला जनवरी-फरवरी …से ठीक कैसे हो सकता है? आदत तो बचपन से अंग्रेजी माह की पढ़ी हुई थी। अब जब कुछ समझ विकसित हुई तो कुछ-न-कुछ समझ में आने लगा। यूं तो हिन्दी वर्ष की प्रामाणिकता हेतु कई तर्क दिए जाते हैं लेकिन एक जो आसानी से समझ में आने वाली बात है वह यह कि अंग्रेजी, लेटिन, संस्कृत और हिन्दी की अंकमाला के शब्द जिस प्रकार मिलते-जुलते हैं उससे मिलान कर देखो जरा अंग्रेजी माहों को –
सितम्बर-सप्तम-सात-सेवन, अक्टूबर-अष्टम-आठ-एट,
नवम्बर-नवम्-नौ-नाइन दिसम्बर-दशम्-दस-टेन
यदि आप मानते हैं कि यह क्रम ठीक है तो वास्तव में दिसम्बर ही अंग्रेजी वर्ष का दसवाँ माह होना चाहिए। और यदि यह ठीक लगता है तो जनवरी ग्यारहवां और फरवरी बारहवां। यानी अंग्रेजी वर्ष का अंतिम माह होना चाहिए फरवरी। इसका अर्थ हुआ कि अंग्रेजी वर्ष का भी प्रथम माह मार्च होना चाहिए यानी वही अपना चैत्र माह।
अब यह खोज का विषय तो होगा खगोल, ज्योतिष और काल गणना के विशेषज्ञों हेतु कि आखिर इतिहास के किन कालो में जाकर इस सहज क्रम को गड़बढ़ किया गया। हम सब तो सच को सच मानें।
‘हाथ कंगन को आरसी क्या?’
हमारे पास तो चैत्र प्रतिपदा पर प्रसन्नता प्रकट करने के ढेरों कारण है।
हम अपनी वैज्ञानिक कालगणना को गौरव की बात मानें क्योंकि वर्ष प्रतिपदा के दिन ही।
ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना तथा संवत्सरों का प्रथम दिवस।
महाराजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् का शुभारम्भ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी का जन्म दिवस।
प्रभु श्रीरामचन्द्र जी का राज्याभिषेक दिवस।
महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना।
देव भगवान झुलेलालजी का जन्म दिवस।
इस दिन आरंभ होता है, नवरात्रों का पर्व महान।
अंत में पुन: नववर्ष की शुभकामनाएँ।
- तुम्हारे पापा
(लेखक इंदौर से प्रकाशित ‘देवपुत्र’ सर्वाधिक प्रसारित बाल मासिक पत्रिका के संपादक है।)
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