– वासुदेव प्रजापति “विद्यार्थी” शब्द विद्या और अर्थी इन दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है – विद्या(ज्ञान) प्राप्त करने वाला। अर्थात् जो…
Category: वासुदेव प्रजापति
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-15 (ज्ञान प्राप्त करने की योग्यता)
– वासुदेव प्रजापति अब तक हमने ज्ञानार्जन के करण, करणों का विकास, करणों की सक्रियता, ज्ञानार्जन प्रक्रिया तथा करण- उपकरण विवेक को समझा। आज हम…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-13 (करणों की सक्रियता)
– वासुदेव प्रजापति ज्ञानार्जन के सभी करण जन्म से ही हमें मिल तो जाते हैं, परन्तु जन्म से ये सभी करण सक्रिय नहीं होते, अक्रिय…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-12 (करणों का विकास)
-वासुदेव प्रजापति ज्ञानार्जन के करणों में हमने बहि:करण एवं अन्त:करण को जाना। बहि:करण में कर्मेन्द्रियों व ज्ञानेन्द्रियों के कार्यों को समझा और अन्त:करण में मन,…
Relevance of the Bharatiya way of life in the present context-2
– Vasudev Prjapati – Translated in English by Avnish Bhatnagar In the Bharatiya thought process, life is believed to be one, single, continuing, integral, which…
तस्मै श्रीगुरवे नम:
– वासुदेव प्रजापति अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्। तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नम।। उस महान गुरु का अभिवादन! जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त है, चर…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-11 (ज्ञानार्जन के साधन : चित्त)
– वासुदेव प्रजापति अन्त:करण का चौथा और अन्तिम साधन है, चित्त। चित्त अद्भुत है, यह बुद्धि व अहंकार से भी सूक्ष्म है। इसे हम एक…
Relevance of the Bharatiya way of life in the present context-1
– Vasudev Prjapati – Translated in English by Avnish Bhatnagar The whole world is suffering with covid-19 pandemic. Many a measure are being observed by…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-10 (ज्ञानार्जन के साधन : अहंकार)
– वासुदेव प्रजापति ज्ञानार्जन के साधनों में अन्त:करण प्रमुख साधन है। अन्त:करण के चारों साधनों में हमने मन और बुद्धि को जाना। बुद्धि के…
वर्तमान परिस्थिति में भारतीय जीवनदृष्टि की प्रासंगिकता-2
– वासुदेव प्रजापति जीवन एक व अखण्ड़ है भारत की दृष्टि में जीवन एक है, यही एक जीवन जन्मजन्मान्तरों में अखण्ड चलता रहता है। एक…