समरसता की सुधा

✍ गोपाल माहेश्वरी सुधांशु पाठक सायं चार बजे अपना कुर्ता पायजामा पहने कांधे पर झोला लटकाए अकेले निकल पड़ते अपने विद्या मंदिर की गोद ली सेवाबस्ती…

चिंतन और चेतना

✍ गोपाल माहेश्वरी चिंतन और चेतना सगे भाई-बहिन हैं। नाम का प्रभाव उनके विचारों पर भी स्पष्ट दिखाई देता है। पिताजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के…

बेटा नहीं बेटी

✍ गोपाल माहेश्वरी निपुण शाला से लौट कर आया और मैदान में खेलने चला गया। कबड्डी और खो-खो उसकी मित्र मंडली के प्रिय खेल थे।…

हमारा संविधान

 – गोपाल माहेश्वरी “जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीश तिहुँ लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बलधामा। अंजनिपुत्र पवन सुत नामा।” विवेक की आवाज सारे घर…