दोहराने के पांच प्रकार

✍ दिलीप बेतकेकर

दोहराने को अंग्रेजी में ‘Revision’ कहते हैं। Review (पुनः अवलोकन) भी कहते हैं। आइए हम इन अंग्रेजी के दोनों शब्दों को समझें-

Revision अर्थात Re और vision ऐसे दो शब्दों को जोड़ने से बना है। Re का अर्थ है ‘पुनः’ और vision का अर्थ है ‘दृष्टि’। Review में भी उसी प्रकार दो शब्दों का Re और View का जुड़ाव है। ‘तळशु’ का अर्थ है देखना । Review अर्थात पुनः देखना पुनः दृष्टि डालना। अर्थात दोनों ही शब्दों का अर्थ ‘दोहराना’ है।

अध्ययन के लिए यह दोहराना अत्यंत आवश्यक है। (मराठी में इसे ‘उजलणी’ कहते हैं अर्थात ‘उजाला’ मतलब प्रकाश)। यदि दोहराना अर्थात उजाला अभ्यास के लिए न होगा तो उजाला न हो अर्थात ‘अंधेरा’ ही! इसका अर्थ यह हुआ कि अभ्यास के लिए पुनः अवलोकन न होना अंधेरे के समान है, मतलब व्यर्थ है। स्मृति दो प्रकार की होती है- ‘अल्प स्मृति’ जो कम अवधि के लिए याद रहती है, और ‘दीर्घ स्मृति’ – जो अधिक समय तक याद रहती है। हम जो देखते-सुनते हैं वह कम समय तक याद रहता है। अधिक समय तक याद रखने हेतु उसे बार बार देखना सुनना पड़ता है, पढ़ना पड़ता है। ऐसा करने से कम अवधि की याद का रूपांतर (अल्पस्मृति) ‘दीर्घ स्मृति’ में हो जाता है। अन्यथा सब भूल जाते हैं। कहते हैं अगला पाठ पिछला सपाट’! हरमन एरिंग हास एक विख्यात स्मृति संशोधक के द्वारा कई संशोधन किए गए। तदनुसार यदि ये दोहराने की क्रिया न की जाए तो सब कैसे सपाट हो जाता है- अर्थात भूल जाता है यह सिद्ध कर दिखाया है। Time is the thief of memory.

हम स्वयं भी एक प्रयोग कर देख सकते हैं। पन्द्रह शब्दों की एक सूची बनाएं….. कागज पर उसे लिखें। इस कागज को पलट कर रख दें। अब सूची के शब्दों को याद कर लिखें। अब सूची के कितने शब्द याद हैं यह देखें। अब चार छह बार दोहराकर दुबारा लिखें। अब देखें की दोनों बार की सूचियों में क्या अंतर है। दोहराने के कारण अधिक शब्द ध्यान में रहें है ऐसा अनुभव अवश्य होगा। इसीलिए ‘दोहराना’ एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। सामान्यतः हम दोहराते कब हैं? सत्र के अंत में परीक्षा का समय निकट आने पर ही! तब तक तो सब भूल गए होते हैं। चौबीस घंटे की अवधि में सामान्यतः हम अस्सी प्रतिशत भूल जाते हैं। इसलिए दोहराना आवश्यक है। तो फिर यह विधि अपनाएंगे ना? अब ये दोहराने की प्रक्रिया कैसे करते हैं देखें –

१. दैनिक अर्थात प्रतिदिन दोहराना – शाला से घर आने पर थोड़ा विश्राम कर, ‘फ्रेश’ होलें। शांति से, प्रसन्नता से अपनी आंखों के समक्ष यह ध्यान करने का प्रयास करें की दिनभर में, अलग अलग विषयों की कक्षाओं में शिक्षकों द्वारा क्या पढ़ाया गया, क्या विशेष कहा गया! बीच की अवधि में कापी का सहारा ले सकते हैं। जो जो याद हो ऐसे शब्द, चित्र, आकृति, कागज पर बगैर किसी तनाव के, लिख लें, क्रम से न हो तो भी, जैसे याद आता जाए वैसा लिखते चलें! इसे क्रमवार ही याद हो ऐसी आवश्यकता नहीं। बाद में उसे क्रमवार जोड़ने का प्रयास करें। यथा सम्भव जोड़ने की प्रक्रिया अपनाते हुए क्या, कौन, कब, कहां, क्यों और कैसे इन प्रश्नों का सहारा लें।

२. साप्ताहिक दोहराना – सप्ताह के अंत में शनिवार, रविवार को सप्ताह भर में पढ़ाया हुआ उपरोक्त अनुसार दृष्टिगत करें। केवल नजर घुमाना ही उपयोगी नहीं, दोहराते समय हाथ में पेंसिल, मार्कर, हाईलाइटर अवश्य रखें। आवश्यकतानुसार चिन्ह, निशान लगाना, हाईलाइट करना, आवश्यक लगे तो मुंह से उच्चारण करना, प्रश्न निर्माण करना, ऐसी विविध कृति, क्रिया उपयोग में ली जाए तो दोहराना अर्थपूर्ण, परिणाम कारक होगा। अन्यथा कापी, और पुस्तकों के पृष्ठ केवल पलटना ही होगा।

३. मासिक दोहराना – प्रत्येक माह के अंत में दो चार दिन उक्त माह में पढ़ा हुआ अंश उपरोक्त पद्धति से दोहराएं।

४. वार्षिक दोहराना – सामान्यतः दिसम्बर तक सारा पाठ्यक्रम पूर्ण हो ही जाता है। जनवरी माह से अधिकतर समय दोहराना, प्रश्न पत्र हल करना, शुरू हो जाता है। यह कार्य यांत्रिक प्रकार न रहकर रस पूर्ण, अर्थपूर्ण, विविध पद्धति से और विशेषतः सक्रियता बढ़ाते हुए दोहराना कैसे करेंगे इस पर विचार कर क्रियान्वयन करें। एकसुरी पन, आलस्य को दूर करने हेतु दोहराने के कार्य में विविधता कैसे निर्मित की जाए इसका ध्यान रखें तो अधिक लाभदायक होगा।

५. परीक्षा के दिन दोहराना – (LMR Last minute Revision) – परीक्षा प्रारंभ होने के समय से एक दो घंटे पूर्व से परीक्षा केंद्र पर कैसा वातावरण होता है इसका चित्र मजेदार होता है। कई विद्यार्थी कापी, पुस्तक, गाइडस, नोटस आदि लेकर परीक्षा शुरू होने के पूर्व के अंतिम क्षण तक इन सामग्रियों से लड़ते हुए नजर आते हैं। पाठ्यक्रम की विशालता को सोचकर घबराए हुए होते हैं, नर्वस रहते हैं। परीक्षा प्रारंभ होने का घंटा बजने तक, परीक्षा कक्ष में पहुंचने तक कापी, पुस्तकों का उपयोग करते रहते हैं। वास्तव में तो परीक्षा प्रारंभ होने के एक घंटा पूर्व से ही पूर्ण शांति आवश्यक है। कुछ पढ़ना, आपस में पूछना, अनावश्यक रूप से बन्द रखना चाहिए। यह अवधि है केवल स्वयं सूचना देने की! घर से निकलते समय एक बार दोहराएं, किन्तु अलग पद्धति से! कुछ समय पूर्व LMR की तैयारी करें। कापी के हाशिए पर जो भी महत्तवपूर्ण शब्द (Key words) लिखें हो तो परीक्षा प्रारंभ होने के पूर्व, इसके पूर्व घर से निकलते समय, और इससे पूर्व प्रातः जागने पर उनका वाचन करें, बार बार उन पर दृष्टि डालें। यह अत्यंत लाभकारी होगा।

दोहराने की प्रक्रिया के लिए अंतिम समय तक का इंतजार न करें। टुकड़ों टुकड़ों में (Instalments) दोहराएं। बार बार दोहराएं, सफलता आपके हाथों में ही होगी!!

(लेखक शिक्षाविद, स्वतंत्र लेखक, चिन्तक व विचारक है।)

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