सुखार्थीः चेत् त्यजेत् विद्याम् विद्यार्थीः चेत् त्यजेत् सुखम् ॥ अर्थात् यदि सुख की कामना है तो विद्या की आशा छोड़ दें और यदि विद्या की कामना…
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शिक्षा का वर्तमान स्वरूप : भौतिक व व्यक्ति केन्द्रित
शिक्षा की प्रक्रिया के माध्यम से ही मानव शिशु का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास होकर वह समाज में उपयुक्त स्थान ग्रहण करता…
मातृभाषा – बुद्धि विस्तार का एक मात्र साधन
‘‘मैं अच्छा वैज्ञानिक इसलिए बना, क्योंकि मैंने गणित और विज्ञान की शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त की । (धरमपेठ कॉलेज नागपुर) – डॉ अब्दुल कलाम भाषा,…
समाज जीवन की कौन सी चुनौती शिक्षा क्षेत्र की नहीं?
– अवनीश भटनागर शिक्षा जीवन के विकास की यात्रा है। व्यक्तित्व के विकास का एक मात्र माध्यम शिक्षा ही है। विश्वभर के शिक्षाविद् कहते हैं…