✍ प्रशांत पोळ सामान्यतः ऐसा माना जाता है (और जो शालेय/ महाविद्यालयीन शिक्षा से और दृढ़ होता गया है) कि, न्याय प्रणाली, न्यायालय, न्यायमूर्ती, वकील….…
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समाज में पनपतीं गाली गलौज प्रवृत्ति का तरुणों पर नकारात्मक प्रभाव और निवारण
– डॉ. बालाराम परमार ‘हँसमुख’ आजकल समाज में सभी उम्र के नर नारी में बात बात पर गाली गलौज करने की आदत बढ़ती ही जा…
क्या हैं आरएसएस के पंच परिवर्तन
– डॉ. इंदिरा दाँगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक शताब्दी पुराना एक ऐसा संगठन है जिसे देश सेवा, आपात स्थितियों में नागरिक-सहायता और सांस्कृतिक उत्थान के…
पायौ जी मैंने राम रतन धन पायौ..
– ऋचा चारण राजस्थान की धरा केवल वीरता की गाथाओं से ही नहीं गूँजती, बल्कि उसमें भक्ति की मधुर वीणा भी अनहद नाद करती है।…
2047 का विश्व गुरु भारत
– रवि कुमार भारत विश्व गुरु रहा है और 21वीं शताब्दी में पुनः उसी दिशा में अग्रसर है। 2012 के बाद राष्ट्र शक्ति के जनजागरण…
माँ का आँचल
– गोपाल माहेश्वरी देव आज शाला से थोड़ा विलंब से ही घर पहुँचा था। उसे जोरों की भूख लगी थी। घर में घुसते ही वह…
हल्दी घाटी युद्ध विजय@450 वर्ष – वामपंथ की उघड़ती परतें
– अनुराग सक्सेना अंग्रेजों ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ का जो सिलसिला शुरू किया, उसे वामपंथी इतिहासकारों, साहित्यकारों ने आजादी के बाद भी जारी रखा।…
भारतीय शिक्षा के आध्यात्मिक आधार – भाग तीन (अन्तःकरण व उसकी शिक्षा)
– ब्रज मोहन रामदेव करण अर्थात् उपकरण या साधना। ज्ञान प्राप्त करने के दो साधन है। 1. बाह्य करण 2. अन्तः करण। ज्ञानेन्द्रियां कर्मेन्द्रियां बाह्य…
पुस्तक समीक्षा – भारतीय शिक्षा दर्शन : सिद्धांत, परंपरा एवं व्यवहार (डॉ. कुलदीप मेहंदीरत्ता एवं रवि कुमार)
– डॉ. कुमुद बंसल यह पुस्तक भारतीय शिक्षा दर्शन : सिद्धांत, परंपरा एवं व्यवहार भारतीय शिक्षा की संपूर्ण दृष्टि को सिद्धांत, परंपरा और व्यवहार तीनों…