✍ नम्रता दत्त शिशु शिक्षा पर विशेष महत्व एवं चिन्तन का कारण है उसका समग्र विकास जो कि इस अवस्था में 85 प्रतिशत हो जाता…
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राष्ट्र जीवन में मकर संक्रांति का महत्व
– डॉ. राम देशमुख मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्रियाकलापों का उसके परिवार, वह जिस समाज में रहता है वह समाज एवं प्रकृति के साथ घनिष्ठ़…
पाती बिटिया के नाम-36 (बड़ा काम कैसे होता है? पूछा मेरे मन ने)
– डॉ विकास दवे प्रिय बिटिया! आज एक सच्ची घटना सुनाता हूँ। उस दिन भोपाल जाने हेतु सुबह की पहली ट्रेन से निकलना तय हुआ।…
शिशु शिक्षा – 12- तीन से पांच वर्ष के शिशु का पालन पोषण (संगोपन)
– नम्रता दत्त शिशु अवस्था (0 से 05 वर्ष) स्वाभाविक विकास की अवस्था है। यह विकास शिशु अपनी अन्तःप्रेरणा से ही करता है। इस अवस्था…
बच्चों के सिर से भय का भूत हटाएं
– दिलीप वसंत बेतकेकर श्रुति छह माह की बालिका, फर्श पर खेल रही थी। निकट की स्टूल पर मिक्सर चल रहा था। धक्का लगा और…
बालकों के लिए उपयोगी – आपके घर में ऐसा है क्या?
– दिलीप वसंत बेतकेकर आज के घर सामानों के ‘भंडारगृह’ हो गए हैं। जगह की कमी, फिर भी फर्श से छत तक विविध वस्तुओं का…
शिक्षा में संस्कृति बोध
प्रत्येक समाज में एक लम्बे अनुभव से निकलते-निकलते कुछ विशेषताएं बन जाती हैं उनकों हम संस्कृति की विशेषता कहते हैं। हमारे यहां पर कहा गया…
अभिनव प्रयोग से समृद्धि का सफर
लखीमपुर खीरी। आज भले ही इंटरनेट का दौर है। पुस्तकालयों के प्रति लोगों का आकर्षण कम हो रहा है। लोग घंटों कंप्यूटर और टीवी से…