जीवन में ‘स्व’ का बोध और ‘स्व’ के आधार पर समाज रचना

 – डॉ. कृष्णगोपाल सह सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में जीवित रहने का मूल आधार ‘स्व’ है। स्व नहीं तो समाज भी नहीं रह सकता।…

डॉक्टर हेडगेवार जी का हिंदुत्व!

✍ प्रशांत पोळ किसी व्यक्ति के कार्य का मूल्यांकन करना है, या उस व्यक्ति ने किये हुए कार्य का यश-अपयश देखना हैं, तो उस व्यक्ति…

भगत सिंह का विचार दर्शन

✍ विजय नड्डा इस क्षण भंगुर अस्तित्व में यदि कोई तत्व स्थायी हैं तो वे हैं आत्मसम्मान तथा स्वतंत्रता। ये तत्व बहुत मूल्य चुका कर…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 76 (भारत की शिक्षा भारतीय नहीं है)

 ✍ वासुदेव प्रजापति भारत में दी जाने वाली शिक्षा कहलाती तो भारतीय ही है, परन्तु सही अर्थों में वह आज भी भारतीय नहीं है। कुछ…

बच्चों के लिए शाला का चयन

 – दिलीप वसंत बेतकेकर “प्रवेश प्रारम्भ! सीमित स्थान! प्रथम आने वाले को प्रथम प्रवेश! आज ही अपना नाम पंजीकृत कराएं!” किसी व्यवसाय या कम्पनी से…