धन्य भारत माँ, धन्य हम संतान – विश्व हिंदी दिवस पर कविता

विश्व हिंदी दिवस

– विश्वरत्न

हिंदी की दुनियाँ में गूँजी दुंदुभी,
बिंदी माथे की हुई संसार की,
धन्य भारत माँ, धन्य हम संतान।।

सैकड़ों वर्षों से हमने,
दासता का भार ढोया।
उर्दू अंग्रेजी के वश‌ में,
स्वत्व का अभिमान खोया।
राष्ट्र संघ के पटल पर,
अटल ने इसको गुँजाया।
धन्य पाया मान,
धन्य हम संतान।।१।।

नमन इस की विज्ञता को,
सरलता को, सहजता को।
नमन इस की शुद्धता को,
नमन इस की मधुरता को।
छोड़ अंग्रेजी का दामन,
हिंदी का पल्लू संभालें।
धन्य भारत माँ,
धन्य हम संतान।।२।।

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