2047 का विश्व गुरु भारत

– रवि कुमार

भारत विश्व गुरु रहा है और 21वीं शताब्दी में पुनः उसी दिशा में अग्रसर है। 2012 के बाद राष्ट्र शक्ति के जनजागरण से धारा 370 हटाने, श्रीराम मंदिर निर्माण और स्वतंत्रता अमृत महोत्सव जैसे बड़े घटनाक्रम हुए। प्रधानमंत्री द्वारा बताए गए पंचप्रण और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा सुझाए गए सामाजिक-आध्यात्मिक परिवर्तन विश्व गुरु भारत@2047 का आधार हैं। आज भारत आईटी, रक्षा, अंतरिक्ष, अवसंरचना और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। चुनौतियाँ शिक्षा की गुणवत्ता, तकनीकी आत्मनिर्भरता, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन की हैं। भारत का मार्ग केवल भौतिक विकास से नहीं, बल्कि मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों से प्रशस्त होगा। प्राचीन ज्ञान व आधुनिक तकनीक के संगम से भारत 2047 तक ‘नया भारत, समर्थ भारत’ बनकर विश्व का नेतृत्व करेगा।

भारत विश्व गुरु था। अमेरिका के बड़े चिंतक व इतिहासविद् हुए है – Will Durant. उन्होंने भारत के बारे में लिखा है – “India was the Motherland of our race, and Sanskrit, the mother of Europe’s languages, was the mother of our philosophy; mother through the Arabs, of much of our mathematics; mother, through the Buddha, of the ideals embodied in Christianity; mother, through the village community, of self-government and democracy. Mother India is in many ways the mother of us all.” (India Mother of Us All – Author Chaman Lal). ये शब्द भारत के विश्व गुरु होने की झलक दिखाते हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंचम् सरसंघचालक माननीय सुदर्शन जी कहा करते थे कि सन 2012 और उसके बाद का समय भारत के लिए संधिकाल का समय है। 2012 के बाद भारत में राष्ट्र शक्ति का जनजागरण होगा और भारत विश्व के नेतृत्व की स्थिति की ओर आगे बढ़ेगा। अगर हम 2012 से 2025 का कालखंड देखते है तो माननीय सुदर्शन जी का कहा एकदम सही प्रतीत होता है।

परिवर्तन की दिशा

सन् 2013 में स्वामी विवेकानन्द के जन्म के 150 वर्ष पूर्ण होने पर पूरे देशभर में विवेकानन्द सार्धशती के कार्यक्रमों ने हिंदुत्व के जनजागरण की एक लहर ला दी। सन् 2014 के लोकसभा चुनाव में हिंदुत्व आधारित विचारों को मानने वालों की सरकार बनी। 5 अगस्त 2019 को भारत राष्ट्र की एकता व अखंडता के लिए आवश्यक कदम उठाया गया और धारा 370 को हटा दिया गया। 9 नवम्बर 2019 को श्रीराम मंदिर अयोध्या पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया और 5 अगस्त 2020 को मन्दिर निर्माण का कार्य आरम्भ होकर 22 जनवरी 2024 को श्रीराम मंदिर का उद्घाटन हुआ। ये इस शताब्दी में भारत में राष्ट्र शक्ति शक्ति जनजागरण के बड़े चार घटनाक्रम है।

2047 के विश्व भारत के लिए आह्वान

सन् 2022-23 राष्ट्रीय स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव हम सबने मनाया। इसके बाद के 25 वर्ष यानी 2047 तक का कालखंड अमृतकाल घोषित हुआ। इस अमृतकाल के लिए देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘पंचप्रण’ बताएं – १. विरासत का गौरव २. गुलामी की मानसिकता से मुक्ति ३. विकसित भारत ४. एकता और एकजुटता ५. नागरिकों का कर्त्तव्य। इन ‘पंचप्रण’ को लेकर अगले 25 वर्ष अमृतकाल में कार्य होना है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वर्तमान सरसंघचालक माननीय डॉ. मोहन भागवत जी ने 2021 के विजयादशमी उद्बोधन में कहा कि अगर व्यक्ति के जीवन, परिवार, आचरण और स्वभाव, राष्ट्र एवं समाज को बदलना है तो शुरुआत स्वयं से करनी होगी। उन्होंने देश के प्रत्येक व्यक्ति, परिवार, समाज एवं जीवन के प्रत्येक घटक में पांच परिवर्तनों की बात कही – १. सामाजिक समरसता युक्त जीवन, २. मूल्य आधारित समाज अर्थात कुटुंब प्रबोधन, ३. पर्यावरण केंद्रित जीवन शैली, ४. नागरिक कर्त्तव्यों का पालन एवं ५. स्वत्व के बोध के आधार पर नव युग निर्माण। इन पांच परिवर्तनों के आधार पर उन्होंने समाज परिवर्तन का आह्वान किया।

नया भारत समर्थ भारत

भारत अपने इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। 21वीं शताब्दी भारत की शताब्दी है। इस समय भारत सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था है जबकि क्रय-शक्ति क्षमता की दृष्टि से विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था है। 2047 में भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ व्यवस्था के साथ विकसित भारत ‘नया भारत समर्थ भारत’ बनने की दिशा में अग्रसर है। इस शताब्दी के एक चौथाई भाग में भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में स्वदेशी तकनीक का विकास, आत्म निर्भरता व निरन्तर प्रगति की ओर सफलता पाई है –

  1. सूचना प्रौद्योगिकी (सॉफ्टवेयर व आउटसोर्सिंग, डिजिटल इंडिया – UPI, CoWIN, स्टार्टअप इकोसिस्टम)
  2. उद्योग धंधे (इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर, ऑटोमोबाइल सेक्टर व रक्षा उत्पादन)
  3. भौतिक अवसंरचना (भारतमाला, सागरमाला, मेट्रो नेटवर्क, वन्देभारत एक्सप्रेस, स्मार्ट सिटीज, डिजिटल इंफ्रा)
  4. सैन्य शक्ति और रक्षा प्रौद्योगिकी (स्वदेशी हथियार – DRDO और ISRO द्वारा अग्नि मिसाइल, पृथ्वी, आकाश, और रुद्र हेलिकॉप्टर; सैन्य निर्यात – ब्रह्मोस, तेजस, और INS विक्रांत)
  5. आर्थिक क्षेत्र – आधारभूत संरचना के विकास के लिए जीएसटी संग्रह, सकल घरेलू उत्पाद GDP में बढ़ावा, डिजिटल पेमेंट
  6. आंतरिक सुरक्षा – नक्सलवाद, माओवाद, आतंकवाद व अलगाववाद पर लगाम
  7. विदेश नीति (जी-20, नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी, QUAD व BRICS में सक्रिय भूमिका)
  8. स्वास्थ्य (कोविड-19 वैक्सीन निर्माण, 200+देशों को दवाएं निर्यात, आयुष्मान भारत)
  9. शिक्षा (IITs व IIITs का विस्तार, स्वदेशी एडटेक, ISRO-DRDO-CSIR द्वारा शोध व विकास)
  10. यातायात और परिवहन (मेट्रो व हाइवे, हाई स्पीड रेल, ईवी इंफ्रा)
  11. अंतरिक्ष (मंगल मिशन 2014, चंद्रयान-3 2023, नेविगेशन सिस्टम NAVIC) आदि।

2047 का विश्वगुरु भारत

विश्व गुरु भारत@2047 के लिए चुनौतियाँ व मार्ग

  1. 2047 के विश्व गुरु भारत के लिए सबसे पहली व बड़ी चुनौती गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन विकास है। ईशावास्य उपनिषद में वर्णन है – “विद्यां चाविद्यां च यस्तद्वेदोभयं सह। अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययाऽमृतमश्नुते॥११॥ अर्थात “जो विद्या (पारलौकिक शिक्षा) और अविद्या (लौकिक शिक्षा) दोनों को एक साथ जानता है, वह अविद्या से मृत्यु को पार करके विद्या से अमृतत्व (अमरता) को प्राप्तकरता है।” इस सिद्धांत के प्रकाश में भारत में शिक्षा की गुणवत्ता बहुत अधिक बढ़ाने का आवश्यकता है। तकनीकी कौशल के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण, डिजिटल साक्षरता अभियान और स्किल इण्डिया मिशन को सुदृढ़ कर रोजगार और शिक्षा में संतुलन बनाना होगा।
  2. 2047 के समर्थ भारत के लिए दूसरी बड़ी चुनौती प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता है। दीनदयाल जी ने एकात्म मानव दर्शन में कहा है कि पुरानी बातों का युगानुकुल व विदेशी बातों का स्वदेशानुकुल परिवर्तन कर उपयोग करना चाहिए। इस सिद्धांत के आधार पर हम प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बन सकते है। सेमीकंडक्टर, AI, क्वांटम कंप्यूटिंग में निवेश बढ़ाना होगा, बायोटेक्नोलॉजी में स्वदेशी क्षमता विकसित करनी होगी, स्टार्टअप इकोसिस्टम का लाभ मिल रहा है इसे और बढ़ावा देना होगा। विदेशी तकनीक का युगानुकुल स्वदेशीकरण करना होगा।
  3. तीसरी सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक न्याय और समानता की है। आर्थिक असमानता में कहीं न कहीं वृद्धि हो रही है। लैंगिक असमानता एवं शहरी-ग्रामीण का अंतर एक तरफ कम हो रहा है, दूसरी ओर जाति-पंथ के आधार पर समाज को विभाजित करने का सिद्धांत व षड्यंत्र विकसित हो रहा है। संविधान की उद्देशिका में न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता शब्दों का प्रयोग किया गया है। इनमें अंतर्निहित भाव को व्यवहार रूप में लाकर समावेशी विकास मॉडल अपनाना होगा। ‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों को प्रभावी बनाना तथा भारत की अर्थ-व्यवस्था का आधार ग्रामीण विकास में विशेष निवेश के अवसर प्रदान करने होंगे।
  4. चौथी महत्वपूर्ण चुनौती पर्यावरण संरक्षण की है। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कैसे बने? जलवायु परिवर्तन का प्रभावों का सामना कैसे हो? प्रदूषण की समस्या को कम कैसे किया जाएं? प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास न करते हुए विकास की गति कैसे बढाई जाएं? ये बहुत से प्रश्न पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि स खड़े है। ईशावास्य उपनिषद में प्रथम श्लोक में वर्णन है – ‘तेन त्यक्तेन भुंजीथा’ अर्थात त्याग की दृष्टि से उपभोग करो। यह सूत्र पर्यावरण संबंधी सभी प्रश्नों का उत्तर है। इस प्रकाश में हरित प्रौद्योगिकी का विकास को बढ़ावा, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश, टिकाऊ विकास मॉडल अपनाना, पर्यावरण संरक्षण में जन भागीदारी आदि के द्वारा इस चुनौती का समाधान कर सकते है।
  5. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 – 29 जुलाई 2020 को देश को नई दिशा प्रदान करने वाली भारत केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की गई जोकि भविष्य में भारत की युवा पीढ़ी को मानसिक गुलामी से छुटकारा दिलाएगी ही, साथ ही साथ 21वीं शताब्दी की युगानुकूल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी नई पीढ़ी को सुसज्ज करेगी। इस नीति के क्रमांक 12.8 में विश्व गुरु शब्द का प्रयोग किया गया है। भारत के सरकारी दस्तावेजों में शायद पहली बार ऐसा हुआ होगा। अटल इन्नोवेशन मिशन (AIM), शिक्षा प्रौद्योगिकी (EduTech Education Technology), भारतीय भाषाओं को बढ़ावा, भारतीय ज्ञान परंपरा, उच्च शिक्षा में परिवर्तन, कौशल विकास – ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आयाम है जो विश्व गुरु भारत@2047 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं

डॉ. कलाम ने पुस्तक “भारत 2020: ए विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम” की भूमिका के अंत में कहा – “विकसित भारत की कल्पना स्वप्न मात्र नहीं है। यह कुछ गिने-चुने भारतीयों की प्रेरणा मात्र भी नहीं होना चाहिए-यह हम सब भारतीयों का मिशन होना चाहिए, जिसे हमें पूर्ण करना है।”

विश्व गुरु की दृष्टि

विश्वगुरु बनने का मार्ग केवल भौतिक-आर्थिक विकास से नहीं बल्कि मानवीय मूल्यों से प्रशस्त होता है। महर्षि अरविंद ने 15 अगस्त 1947 को आकाशवाणी पर कहा कि “मनुष्य की तरह हर राष्ट्र की एक नियति होती है। भारत की नियति आध्यात्मिक नियति है और विश्व को आध्यात्मिकता की रोशनी दिखाना भारत का कर्तव्य है।” भारत की भौतिक समृद्धि के साथ आध्यात्मिक और नैतिक उन्नति पर भी ध्यान देना होगा। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है – “हर देश के पास देने के लिए एक संदेश है, पूरा करने के लिए एक मिशन है, एक नियति तक पहुंचने के लिए। भारत का मिशन मानवता का मार्गदर्शन करना रहा है।” भारत की प्राचीन बुद्धिमत्ता और आधुनिक तकनीक का संयोजन आवश्यक होगा। विश्व गुरु भारत@2047 के लिए राष्ट्रीय संकल्प और तत्काल कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है। भारत की सांस्कृतिक धरोहर, युवा शक्ति और तकनीकी क्षमता से इस लक्ष्य की प्राप्ति संभव है।

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(लेखक विद्या भारती जोधपुर प्रान्त के संगठन मंत्री है।)

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