✍ शालिनी मिढा
श्रीनिवास रामानुजन (1887-1920) भारतीय गणितीय जगत के अद्वितीय नक्षत्र थे, जिन्होंने गणितीय अनुसंधान के क्षेत्र में ऐसे योगदान दिए, जो आधुनिक विज्ञान और गणित के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। उनके जीवन में गणित के प्रति न केवल गहरी जिज्ञासा थी, बल्कि इसे उन्होंने आध्यात्मिक साधना का रूप दिया।
उनके कार्य और विचार भारतीय दर्शन और गणितीय विज्ञान के अद्भुत सम्मिलन का प्रमाण हैं। उनके व्यक्तित्व और कार्यों को निम्न श्लोक में अभिव्यक्त किया जा सकता है:
“ज्ञानं परं परमात्मा, तस्य दर्शनं सुगं।
योगेन योगिनीभिः, यत्र संख्यानमृदु भवेत्॥”
(ज्ञान ही परमात्मा है, उसकी उपलब्धि गणितीय साधना के माध्यम से सुगम हो सकती है।)
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड में हुआ। बचपन से ही वे अन्य बच्चों से अलग थे। उन्हें संख्याओं में एक दिव्य आकर्षण अनुभव होता था। जब वे मात्र 16 वर्ष के थे, तो उन्होंने ए सिनॉप्सिस ऑफ एलीमेंट्री रिजल्ट्स इन प्योर एंड अप्लाइड मैथमेटिक्स नामक पुस्तक पढ़ी, जिसने उनकी गणितीय यात्रा की नींव रखी।
उनकी गणितीय गहराई और अद्भुत क्षमता को निम्न श्लोक के माध्यम से समझा जा सकता है:
“सर्वं संख्यानमूलं, बुद्धि योगेन निर्मितम्।
अनेन विशुद्धात्मा, रमते गणिते सदा॥”
(संपूर्ण सृष्टि गणना पर आधारित है, और बुद्धि के योग से इसे निर्मित किया गया है। विशुद्ध आत्मा गणित में रमती है।)
संघर्ष और पहचान
रामानुजन के जीवन में कई कठिनाइयाँ आईं। औपचारिक शिक्षा में असफल होने के बावजूद, उन्होंने गणित के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी। 1913 में, उन्होंने प्रसिद्ध गणितज्ञ जी. एच. हार्डी को पत्र लिखा। इस पत्र ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी। हार्डी ने उनके कार्यों को “गणितीय कविता” कहा और उन्हें कैम्ब्रिज आमंत्रित किया।
यह श्लोक उनके संघर्ष और सफलता को व्यक्त करता है:
“सिद्धिं न यः कठिनं मार्गं, तमपि योगेन साधयेत्।
धर्मं यः गणितं मन्यते, तस्य नास्ति पराजयः॥”
(जो कठिन मार्ग पर चलता है, वह भी योग (परिश्रम) से सिद्धि प्राप्त कर लेता है। जो गणित को धर्म मानता है, उसकी कभी पराजय नहीं होती।)
रामानुजन के प्रमुख गणितीय सूत्र और खोजें
- π (पाई) के लिए अनंत श्रृंखला
रामानुजन ने \(\pi\) (पाई) के लिए कई अनूठी और तेज़ी से अभिसरण (converging) श्रृंखलाएँ दीं, जो आज कंप्यूटर में पाई की गणना के लिए उपयोग की जाती हैं। उनका एक प्रसिद्ध सूत्र:
यह श्रृंखला पाई की सटीक गणना करने के लिए बहुत तेज़ी से अभिसरण करती है और इसे “रामानुजन की पाई श्रृंखला” के रूप में जाना जाता है।
- मॉक थीटा फलन (Mock Theta Functions)
रामानुजन ने “मॉक थीटा फलन” की खोज की, जो उनके जीवन के अंतिम दिनों में लिखे गए शोध का हिस्सा थे। ये फलन मॉड्यूलर रूपों (modular forms) के उन्नत संस्करण हैं और आधुनिक गणित और भौतिकी में उपयोगी हैं।
श्लोक:
“सूत्राणां सृष्टिकर्ता यः, गणिते च निरंतरम्।
मॉक थीटा फलनं तस्य, विश्वं च विस्मयं ययुः॥”
(जो सूत्रों का सृजनकर्ता है, उसकी मॉक थीटा फलन ने पूरी दुनिया को चमत्कृत किया।)
- 1729: रामानुजन-हार्डी संख्या
जब हार्डी ने रामानुजन से अस्पताल में 1729 के महत्व पर चर्चा की, रामानुजन ने कहा:
“यह एक बहुत ही रोचक संख्या है। यह वह सबसे छोटी संख्या है जिसे दो घनों के योग के रूप में दो अलग-अलग तरीकों से व्यक्त किया जा सकता है।”
1729 = 13 + 123 = 93 + 103
यह गणितीय सोच उनकी अद्वितीय दृष्टि को दर्शाती है।
- विभाजन फलन (Partition Function)
रामानुजन ने संख्याओं को भागों (partitions) में विभाजित करने के लिए सूत्र दिए। उदाहरण के लिए, संख्या 4 के भाग:
[4, 3+1, 2+2, 2+1+1, 1+1+1+1 ]
रामानुजन ने विभाजन फलन के सटीक मूल्य के लिए अनुमान लगाए और मॉड्यूलर समीकरणों के उपयोग से उन्हें प्रमाणित किया।
- अनंत श्रेणियां और निरंतर भिन्न (Continued Fractions)
रामानुजन ने अनंत श्रेणियों और निरंतर भिन्नों के माध्यम से जटिल समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया। एक प्रसिद्ध निरंतर भिन्न:
- ट्रिगोनोमेट्री और हाइपरज्योमेट्रिक श्रेणियां
रामानुजन ने त्रिकोणमितीय और हाइपरज्योमेट्रिक श्रृंखलाओं में ऐसे समीकरण खोजे, जो परंपरागत गणना पद्धतियों से बहुत भिन्न थे।
रामानुजन की गणना का महत्व
रामानुजन के सूत्रों और खोजों को आधुनिक समय में निम्न क्षेत्रों में लागू किया गया है:
- कंप्यूटर साइंस: पाई और अनंत श्रृंखलाओं के उनके सूत्र सुपरकंप्यूटरों में गणना को तेज़ बनाने में मदद करते हैं।
- भौतिकी: मॉक थीटा फलन स्ट्रिंग थ्योरी और क्वांटम यांत्रिकी में उपयोगी साबित हुए हैं।
- संख्या सिद्धांत: उनके विभाजन सिद्धांत और मॉड्यूलर रूप आज भी गणितीय अनुसंधान में उपयोगी हैं।
श्लोक:
“सारं गणितस्य रामानुजेन सृष्टं,
युगान्तरं तद्विद्या विश्वं विमृष्टम्।”
(रामानुजन द्वारा गणित का सार सृजित हुआ, जिसने ज्ञान के नए युग की स्थापना की।)
रामानुजन की विरासत
रामानुजन ने अपनी छोटी सी आयु में गणित के लिए जो योगदान दिया, वह अद्वितीय है। उनके द्वारा छोड़ी गई “लॉस्ट नोटबुक” में आज भी ऐसे सूत्र हैं, जिनका पूर्ण अध्ययन किया जाना शेष है।
उनके शब्दों में:
“मेरे लिए, एक समीकरण का कोई मतलब नहीं है, जब तक कि वह ईश्वर का विचार न हो।”
श्लोक:
“गणितं च महादिव्यं, रामानुजेन निर्मितम्।
तस्य सूत्रं विश्वं पावनं, संख्यानं सत्यं यथार्थतः॥”
(गणित एक दिव्य ज्ञान है, जो रामानुजन द्वारा सृजित हुआ। उनके सूत्र संसार के लिए शाश्वत सत्य हैं।)
रामानुजन का जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि निष्ठा और परिश्रम से असंभव को संभव किया जा सकता है। उनकी गणितीय खोजें और दिव्य दृष्टि आज भी मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।
आध्यात्म और गणित
रामानुजन गणित को एक आध्यात्मिक अनुभव मानते थे। उनका विश्वास था कि उनके गणितीय सूत्र देवी नामगिरी (नमगिरि अम्मान) की कृपा से उनके पास आते हैं। उनके विचारों का यह पक्ष भारतीय संस्कृति और दर्शन के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाता है।
“नमामि नमगिरिं देवीं, यत्र बुद्धिः स्फुरन्त्यसौ।
गणितस्य महासारं, तस्या कृपया लभ्यते॥”
(मैं देवी नमगिरी को प्रणाम करता हूँ, जिनकी कृपा से गणितीय बुद्धि प्रकाशित होती है।)
विरासत
रामानुजन का जीवन और कार्य गणित और भारतीय परंपरा का अद्भुत संगम है। उनकी प्रतिभा का सम्मान करने के लिए भारत सरकार ने उनके जन्मदिवस, 22 दिसंबर, को “राष्ट्रीय गणित दिवस” घोषित किया।
“अजन्मा गणितं सत्यं, न च कालस्य वशं गतम्।
रामानुजं प्रणम्यं तं, यः सदा सत्ये स्थितः।”
(गणित अजर और अमर है। श्रीनिवास रामानुजन इस सत्य के प्रतीक हैं।)
उनका जीवन यह सिखाता है कि निष्ठा, तपस्या और दिव्य प्रेरणा से किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है। उनका गणितीय ज्ञान और आध्यात्मिक दृष्टिकोण मानवता के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा।
श्रीनिवास रामानुजन न केवल महान गणितज्ञ थे, बल्कि वे उन संख्याओं के साधक थे जो सृष्टि के हर कोने में छिपी हैं।
(लेखिका गीता बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल, दिल्ली में प्रधानाचार्या है एवं विद्या भारती दिल्ली प्रान्त की गणित विषय की प्रमुख है।)
और पढ़ें : स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ और वैदिक गणित