श्रीराम: शरणं मम

 – चेतनानन्द सेवा तो हो, पर सेवा करने वाला दिखायी न दे, प्रदर्शन न हो, कर्तृत्त्व अभिमान न हो और परिणाम पाने की रंचमात्र भी…

रामायण सत कोटि अपारा-2 (‘रामलीला’ नाट्य मंचन का प्रभाव)

✍ रवि कुमार पौष शुक्ल द्वादशी, 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से एक बार पुनः सारा देश राममय हो…

महाऋषि वाल्मीकि का अवदान

-डॉ कुलदीप मेहंदीरत्ता भाग्यशाली भारत भूमि पर समय समय पर महापुरुषों ने अवतार लिया है और अपनी वाणी व कलम से भारत का ही नहीं…