✍ गोपाल माहेश्वरी चिंगारियाँ अंगार से जब आग लेकर छूटती हैं। बुझने से पहले वह समूचा वन जलाती लूटती हैं।। वह सारी रात जागा था…
✍ गोपाल माहेश्वरी चिंगारियाँ अंगार से जब आग लेकर छूटती हैं। बुझने से पहले वह समूचा वन जलाती लूटती हैं।। वह सारी रात जागा था…