मौलिक मानवी दिमाग

✍ दिलीप बेतकेकर देवाः दण्डमादाय रक्षन्ति पशुपालवत यन्तु रक्षित मिक्षन्ति, बुध्यासभिव जन्तिनाम।। (ईश्वर किसी पशुपालक के समान हाथ में डंडा लेकर किसी की रक्षा नहीं…

स्वयं दें मन को सूचना

✍ दिलीप वसंत बेतकेकर हम निरंतर बोलते रहते हैं- एक प्रकार से अन्य व्यक्ति के साथ जो तेज आवाज के साथ प्रक्रिया है। और दूसरे…