बाल केन्द्रित क्रिया आधारित शिक्षा-14 (सामाजिक विषय शिक्षण)

                                – रवि कुमार

सामान्यतः सभी स्थानों पर सामाजिक अध्ययन विषय रटवाया जाता है, न कि पढ़ाया जाता है। हो सकता है कुछ स्थानों पर पढ़ाया जाता जाता हो, परन्तु ज्यादा अनुभव रटवाने का ही है। विद्यार्थियों से जब चर्चा करते हैं तो कुछ कठिनाइयां सामने आती है। पाठ्यक्रम काफी लम्बा है, तिथि-सन् काफी मात्रा में याद करने पड़ते हैं। इसी प्रकार नाम भी संख्या में काफी रहते है, नागरिक शास्त्र में ढांचे, प्रकार, योग्यता, चयन, प्रक्रिया, कार्य, कर्तव्य-अधिकार आदि में भ्रम उत्पन्न होता है। भूगोल में इतने अधिक मानचित्र है, उन्हें कैसे याद रखा जा सकता है? विभिन्न प्रयोगों द्वारा उपरोक्त कठिनाइयां दूर होकर कक्षा-शिक्षण प्रभावी हो सकता है।

इतिहास : इस विषय में बीते हुए कल का कोई न कोई घटनाक्रम होता है। उस घटनाक्रम को कहानी के रूप में पढ़ाया जा सकता है। किसी घटनाक्रम का नाट्य रूपान्तर आचार्य और बालकों द्वारा कक्षा में मंचन हो सकता है।

तिथि-दिनांक के सम्बन्ध में एक उदाहरण ध्यान में आया। एक विद्यालय में कक्षा दशम् में जाना हुआ। सामाजिक अध्ययन का विषय चल रहा था। एक बालक को अपने जीवन के विषय में बताने को कहा। जन्म कब हुआ, विद्यालय कब आना प्रारम्भ हुआ, प्रथम कक्षा में कब आए, प्राथमिक, माध्यमिक कब पूरा हुआ आदि। जैसे-जैसे बालक बता रहा था वैसे-वैसे मैं श्यामपट्ट पर Timeline अनुसार लिख रहा था। अर्थात् उस बालक के जीवन के विभिन्न घटनाक्रम श्यामपट्ट पर Timeline के रूप में अंकित हो रहे थे।

इसके बाद बालकों से पूछा गया कि भारत स्वतन्त्रता संग्राम के विभिन्न चरण कब-कब घटित हुए? उन चरणों को Timeline द्वारा श्यामपट्ट पर दर्शाया गया। एक दृश्य में सारे घटनाक्रम तिथि सहित नजर आ रहे थे। इस प्रकार से दो-तीन बार अभ्यास करने पर सरलता से कंठस्थ हो सकता है और हमारे मन में भ्रम की स्थिति भी नहीं रहेगी।

इसी प्रकार नामों के विषय में concept mapping का उपयोग हो सकता है। स्वतंत्रता संग्राम में किसका क्या योगदान रहा है, किसका नाम किस घटना से जुड़ा है उसे बॉक्स में क्रमशः लिख सकते है। इससे याद रखने में सुविधा होगी एवं भ्रम से बचा जा सकता है।

नागरिक शास्त्र : एक अनुभवी प्रधानाचार्य ने इस विषय में अपना अनुभव सुनाया। उन्होने बताया कि कक्षा कक्ष में विषय की पुस्तक का न्यूनतम उपयोग हुआ और न ही गृहकार्य दिया गया। बालकों को अहसास करवाया गया कि नागरिक शास्त्र सबसे सरल और रोचक विषय है। Subject fear मन से निकाला गया। इस विषय में रोचकता कैसे बढ़े इस पर ध्यान केन्द्रित किया गया। कुछ बिन्दुओं पर कक्षा में group discussion हुआ। गृहकार्य के रूप में Project Work पर कार्य अधिक हुआ।

बालकों को कहा गया – अपने ग्राम के सरपंच व पंच का साक्षात्कार लेकर आना है। सरपंच व पंच कैसे चयनित होते है, उनकी कार्य प्रक्रिया क्या होती है, इस पद के नाते उन्हें क्या-क्या कार्य करना होता है, इन कार्यों को सूचीबद्ध करके लाना है। बालक यह कार्य करके आएं। बालकों को इस प्रोजेक्ट के बाद पंचायती राज व्यवस्था के विषय में अधिकतम जानकारी की समझ हो गई थी जोकि शायद केवल कक्षा कक्ष में पढ़ाने से नहीं होती। इस प्रकार अलग-अलग Topic के Project Work निर्माण करने से रोचकता सहज ही निर्माण होगी और अधिगम स्तर बढ़ेगा।

भूगोल : इस विषय में बालकों को मानचित्र कैसे बनता है, यह सिखाया जाए। फिर मानचित्र निर्माण करवाया जाए। जितना अधिकाधिक मानचित्र बनवाने का कार्य होगा, उतना अधिगम बढ़ता जाएगा। Project Work देकर प्रदेश, देश और विश्व के 3D मानचित्र बनवाएं जाए। मैदान पर नक्शा बनाकर विभिन्न परिस्थितियाँ दर्शाई जा सकती है। सभी प्रकारों में बालक कुछ बताएं ऐसे कार्य अवश्य करवाए जाएं।

आचार्य को मन से निकालना होगा कि पाठ्यक्रम लम्बा है। पाठ्यक्रम लम्बा है, इसकी बजाय वे ये सोचें कि इसे रोचकता से कैसे पढ़ाया जाए। कितने अधिक Project Work निर्मित हो सकते हैं। आचार्य सोचें कि बालकों के मन से Subject Fear कैसे समाप्त किया जा सकता है। बालक के दैनन्दिन जीवन से उसके विषय को कैसे जोड़ा जा सकता है। इस सब से अधिगम प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से गति में आएगी।

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