आषाढ़ का वह दिन

✍ गोपाल माहेश्वरी आषाढ़ मास आरंभ हो चुका था। गरमियों का सूनेपन से ऊब चुका आकाश इस माह कभी भी चित्र-विचित्र छोटे-बड़े बादलों से भर…