– पिंकेश लता रघुवंशी तत्कर्म यन्न बन्धाय सा विद्या या विमुक्तये। आयासायापरं कर्म विद्यऽन्या शिल्पनैपुणम्॥ विष्णु पुराण के प्रथम स्कंध उन्नीसवें अध्याय के 41वे श्लोक…
Category: राष्ट्रीय शिक्षा नीति
1986 में बनाई गई शिक्षा नीति 1992 के संशोधनों के उपरांत भी शिक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने में अब अक्षम दिखाई दे रही थी। 34 वर्षों के लंबे समय उपरांत देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति नई संभावनाओं के साथ आई है। शायद देश में ही नहीं अपितु विश्व भर में यह एक ऐसा बड़ा विमर्श है जो ग्राम पंचायत से लेकर राष्ट्रीय स्तर, छात्रों, अध्यापकों, अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों, राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा शिक्षाविदों के सुझावों, चिन्तन, मनन का परिणाम है। इस ड्राफ्ट की प्रारम्भिक दृष्टि से पता चलता है कि यह समाज के प्रत्येक वर्ग, क्षेत्र तक ज्ञान पहुँचाने का संकल्प है।
Carefully crafted policy by comprehending The Past Experiences, Present Challenges and Future Needs
Press Statement by Shri D. Ramakrishna Rao, All India President, Vidya Bharati Akhil Bharatiya Shiksha Sansthan After consultation for six long years with academia, intelligentsia,…
अतीत के अनुभव, वर्तमान की चुनौतियों तथा भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर गढ़ी गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति : डी. रामकृष्ण राव
विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के अखिल भारतीय अध्यक्ष श्री डी० रामकृष्ण राव जी का प्रेस वक्तव्य छ: वर्ष तक शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, विचारकों, शैक्षिक…