हठ का धनी शंभुनारायण

 – गोपाल माहेश्वरी मातृभू घायल दिखे तब घाव अपने कौन गिनता? यातनाएँ क्या डिगाएँ मृत्यु तक की नहीं चिंता।। जिन्हें देश के लिए कुछ करना…