बाल केन्द्रित क्रिया आधारित शिक्षा-12 (गणित विषय शिक्षण)

 – रवि कुमार

गणित विषय सरल भी है और कठिन भी। गणित का सम्बन्ध जीवन भर रहता है। हर आयुवर्ग, हर प्रकार के व्यवसाय में गणित का उपयोग होता है। गणित समझ में आ जाए तो सरल है, समझ में ना आए तो गणित के नाम पर बालकों को बुखार तक चढ़ जाता है। बालक को सरलता से गणित समझ आए इसके लिए रोचकतापूर्ण ढंग से गणित पढ़ाने की आवश्यकता रहती है।

बालक को Topic के concept  समझाने पर भी ध्यान दिया जाए। उदाहरण स्वरूप प्रारम्भिक गणित में पहाड़े (Table) आते हैं। एक विषय है पहाड़े रटवाना, दूसरा है समझाना। बालकों के सामने कुछ पत्थर रखे जाए। एक पत्थर के साथ दूसरा रखकर पूछा जाये, बच्चे उत्तर देंगे दो पत्थर। दो पत्थरों के साथ दो और पत्थर रखकर पूछा जाए कितने पत्थर? बालक गिनकर अथवा जोड़कर बोलेंगे चार पत्थर। इन चार पत्थरों के साथ दो और पत्थर रखे जाए और पूछें कितने पत्थर? इसी प्रकार 2-2 पत्थर जोड़कर रखते जाए और क्रमशः पूछते जाए। धीरे-धीरे दो के पहाड़े का concept समझ में आ जाएगा। ” The table is continuous addition of numbers”

प्रयोग के साथ सिखाएं : प्रारम्भिक गणित में विषय आता है मापन (Measurement) – विभिन्न प्रकार के Measurement – Distance, weight, height, length, width, आदि और इनके यूनिट mm, cm, m, km, gm, Kg, feet, inch, litre, ml. आदि। बालकों को स्केल से अपनी कक्षा में रखी वस्तुओं की लम्बाई, चौड़ाई व ऊँचाई मापने के लिए कहा जाए। इसी प्रकार लीटर व आधे लीटर के मापक से बोतल अथवा बाल्टी में कितना पानी आएगा, यह मापने के लिए बताया जाए। इस प्रकार प्रयोग करवा मापन अच्छे से सिखा सकते हैं।

खेल-खेल में गणित : कक्षा को मैदान में ले जाया जाए और दस-दस संख्या के दल बनाए जाएं। इन दलों को एक रेखा से प्रारम्भ कर समान अन्तर पर पंक्ति में खड़ा किया जाए। शून्य से नौ तक हर दल में क्रमशः अंक दिए जाएं। शिक्षक एक संख्या बोलेगा। जैसे उसने बोला 365, हर दल से 3, 6 व 5 अंक वाले बालक एक निश्चित स्थान तक दौड़कर वापिस आएंगे और शिक्षक की ओर मुड़कर के अपने दल के सामने 365 संख्या में अपने स्थान पर खड़े होंगे। जो दल सबसे पहले और ठीक संख्या बनाएगा उस दल को एक अंक मिलेगा। इस बार फिर से कोई संख्या बोली जाएगीं, दस अंक तक की संख्या बोली जाएगी। दल का प्रत्येक सदस्य प्रयास करेगा कि इस बार का अंक हमें मिले। इस खेल से प्रत्येक बालक को संख्या ज्ञान व अंक स्थान ठीक में समझ में आएगा।

सूत्र (formula) कैसे बना : जैसे-जैसे कक्षा बढ़ती है पाठ्यक्रम बढ़ता है। पाठ्यक्रम में Topic का विस्तार होता है। अनेक प्रकार के नए-नए सूत्र आते हैं। बीजगणित (Algebra) आदि में अनेक सूत्रों की भरमार है। बिना सूत्र के प्रश्न हल ही नहीं हो सकता। बालक सूत्रों को लेकर भ्रमित रहते हैं। सूत्र याद करना और ठीक स्थान पर प्रयोग करना आवश्यक है। सूत्र कैसे बनता है? अथवा अमुक सूत्र कैसे बना? यह यदि बालक को बताया जाए तो भ्रम की स्थितियों को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।

जैसे – Area of rectangle = Length ×Breadth, Area of square = L×b=S2  इसी प्रकार शेष सूत्र आगे कैसे बनते हैं? ऐसा बताया जा सकता है।

बीजगणित में सूत्र आता है (a+b) = a +b +2ab. कक्षा में जाकर पूछते है तो बालक को यह नहीं पता कि यह सूत्र कैसे बना? फिर मैने लिखा (a+b) (a+b) दोनों को आपस में गुणा करे तो a +b +2ab आएगा।

इस सूत्र को समझने का दूसरा तरीका – मान लीजिए a=12cm, b=4cm, a+b=16cm, ab= Rectangle of 12×4.

12 and 4cm के दो square व 12×4 के दो rectangle कार्ड से काटे। 16cm के square पर 12 and 4cm के दो square और 12×4 के दो Rectangle कार्ड रखेंगे तो 16 cm के square का पूरा Area कवर हो जाता है।

इस प्रकार से समझाने से बालक कभी भ्रम में नहीं रहेगा और सूत्र उसे सदा याद रहेगा।

 “यथा शिखा मधुराणां नागानां मणयो यथा।

तथा वेदांगशास्त्राणां, गणितं मूध्र्नि वर्तते।।”

अर्थात् जिस प्रकार मोरों में शिखा व नागों में मणि का स्थान सबसे ऊपर है, इसी प्रकार सभी वेदांग और शास्त्रों में गणित का स्थान सबसे ऊपर है।

और पढ़े: बाल केन्द्रित क्रिया आधारित शिक्षा – 11 (हिन्दी भाषा शिक्षण)

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