शिक्षा को प्रौद्यौगिकी का समर्थन : सशक्त भारत का निर्माण

 – डॉ. शिरीष पाल सिंह

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रौद्यौगिकी का उपयोग तथा एकीकरण एवं ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा द्वारा प्रौद्यौगिकी के न्यायसंगत उपयोग को सुनिश्चित करने पर महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं। प्रौद्यौगिकी के त्वरित विकास एवं इसकी विस्तृत पहुँच ने विगत 10 वर्षों में हमारे दैनंदिन कार्यों में आमूल-चूल परिवर्तन किया है। शिक्षा का क्षेत्र भी प्रौद्यौगिकी हस्तक्षेप से बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ है। प्रौद्यौगिकी ने शिक्षण-अधिगम को गुणवत्तापूर्ण, रुचिकर, सरल तथा प्रभावी बनाने में शिक्षण संस्थनों को सहायता प्रदान की है। शैक्षिक प्रौद्यौगिकी के अनुप्रयोग के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में हुए अनुसंधान कार्यों और प्राप्त परिणामों जिसमें विशेषकर प्रौद्योगिकी स्वीकृति प्रतिमान के अंतर्गत प्रौद्यौगिकी की स्वीकृति तथा उपयोग के एकीकृत सिद्धांत सम्मिलित है, ने प्रौद्यौगिकी की स्वीकार्यता को सर्व सिद्ध किया है।

21 वीं सदी का भारत डिजिटल इण्डिया अभियान का भारत है, जो एक ओर डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है तथा वहीं दूसरी ओर शिक्षा और प्रौद्योगिकी के द्विदिश संबंधों की पहचान करते हुए प्रौद्योगिकी एकीकृत शिक्षण अधिगम को भी प्रोत्साहित कर रहा है । शिक्षा में तकनीकी के उपयोग की बात की जाए तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986/1992 द्वारा शिक्षा में टेलीविजन तथा रेडियो के प्रसार को विस्तारित करने के साथ शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पूर्ण रूप से समर्पित सैटेलाइट प्रणाली के विकास की बात की गई थी। इसी क्रम में विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों के विकास करने हेतु आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ कंप्यूटर साक्षरता कार्यक्रम हेतु विशेष प्रावधानों की व्यवस्था पर जोर भी दिया गया। वर्तमान शिक्षा नीति NEP 2020 की सिफारिशों की यदि बात की जाए तो प्रौद्योगिकी विकास की तेज गति को देखते यह कहीं अधिक व्यावहारिक और अनुप्रयोगात्मक पक्षों पर बल देती है।

वर्तमान शिक्षा नीति 2020, प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा एकीकरण के संबंध में वर्तमान प्रौद्योगिकी क्षेत्रों जैसे – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निग, ब्लाग चेन, स्मार्टबोर्ड, एडेप्टिव कंप्यूटर टेस्टिंग आदि के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है और ‘क्या-क्या सीखने’ के साथ ‘कैसे सीखने’ की अवधारणा को समझने के लिए व्यापक शोध की सिफारिश भी करती है। शिक्षा में प्रौद्योगिकी के प्रयोग व एकीकरण को सुदृढ़ तथा बेहतर बनाने की दिशा में वर्तमान शिक्षा नीति 2020 ने तकनीकी प्रयोग के स्तर पर ऐसे स्वायत्त निकाय के रूप में राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्यौगिकी मंच (NETF) के गठन की महत्त्वपूर्ण सिफारिश की है जो भारतीय इतिहास में प्रथम और एक अनूठा प्रयास होगा। यह राष्ट्रीय मंच विद्यालयी एवं उच्चतर शिक्षा दोनों क्षेत्रों में शिक्षण, मूल्यांकन, नियोजन, प्रशासन आदि में सुधार हेतु प्रौद्योगिकी के उपयोग से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेने तथा नवीन ज्ञान व अनुसंधान के आधार पर प्रभावी कार्यों के लिए रणनीतियां बनाने के लिए विचार-विमर्श का केंद्र बनेगा। NETF द्वारा संस्थागत क्षमता और सतत सृजन को बढ़ावा देने के लिए शोधकर्ताओं, उद्यमियों तथा प्रौद्यौगिकी को उपयोग में ला रहे व्यक्तियों के विचारों से लाभान्वित होने के लिए क्षेत्रीय, राष्ट्रीय सम्मेलनों, कार्यशालाओं आदि के आयोजन पर बल दिया गया है। यह प्रयास प्रौद्यौगिकी आधारित शिक्षा की वर्तमान समस्याओं, उनके हल ढूढने तथा अनुसंधान एवं नवाचार की नई दिशाओं को स्पष्ट करेगा जिससे निश्चित रूप से ही शिक्षा के विभिन्न आयामों को बेहतर बनाने का पथ प्रशस्त होगा।

वर्तमान महामारी संकट के समय हम प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण-अधिगम को एक वैकल्पिक या प्रतिस्थापित प्रणाली के रूप में देख रहे हैं परंतु यदि हम चाहते है कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत वैश्विक स्तर पर नेतृत्व करे तो आवश्यकता है कि हमें प्रौद्यौगिकी को एक विकल्प के रूप में न देखकर एक सतत सहायक तकनीकी (Continuous Assistive Technology) के रूप में स्वीकार करना होगा। प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों का मुख्य उदेश्य न केवल शिक्षण-अधिगम और आकलन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाना है अपितु यह शैक्षिक नियोजन, प्रबंधन, प्रशासन को सरल एवं व्यवस्थित बनाने हेतु शिक्षकों के व्यावसायिक विकास, शैक्षिक पहुँच का विस्तार करने आदि की दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी है। वर्तमान शिक्षा नीति 2020 ने उपर्युक्त नई वास्तविकताओं तथा परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मौजूदा डिजिटल प्लेटफार्म और ICT आधारित व्यावहारिक पहलुओं के अनुकूलन और विस्तार का समर्थन कर एक उन्नत एवं सशक्त भारत की नींव रखी है।

भारत विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों का देश है। यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि बालक के ज्ञान का सृजन उसकी मातृभाषा में ही अधिक सरल एवं प्रभावी तरीके से ही सकता है, इस तथ्य के आलोक में वर्तमान भारतीय शिक्षा नीति 2020 तकनीकी शिक्षा को बाल केंद्रित बनाते हुए विभिन्न भारतीय भाषाओं में सॉफ्टवेयर विकास की सिफारिश करती है। यह सार्थक प्रयास सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों तथा दिव्यांग विद्यार्थियों समेत सभी प्रकार के उपयोगकर्ताओं के लिए एक सराहनीय कदम होगा तथा भारत की सांस्कृतिक और भाषायी विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने वाला प्रतीत हो रहा है जो प्रत्येक भारतीय के लिए हर्ष व गौरव का विषय है।

आज इंटरनेट के क्रांतिकारी बदलावों ने भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली को खतरनाक स्थिति में खड़ा कर दिया है, जहाँ हम इन तीव्र और युगांतकारी परिवर्तनों का सामना करने में असमर्थ प्रतीत हो रहे है। 1986/1992 में आई शिक्षा नीति के लिए भविष्य के आधार पर यह अनुमान लगाना कठिन था कि 30-35 वर्ष पश्चात इंटरनेट के क्रांतिकारी प्रभाव भारत को वर्तमान प्रतिस्पर्धा होती दुनिया में पीछे छोड़ देंगें। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने नवीन परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी को औपचारिक रूप से स्वीकार कर राष्ट्रीय अनुसंधान फाउन्डेशन (NRF) द्वारा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान कार्यों के विस्तार की घोषणा की हैं जिसके अंतर्गत कृत्रिम बुद्धिमता के संदर्भ में कोर कृत्रिम बुद्धिमता अनुसंधान, एप्लीकेशन आधारित अनुसंधान का विकास तथा स्वास्थ्य, कृषि व जलवायु संकट जैसे वैश्विक संकटों की चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानों के प्रयासों को प्रारंभ करने पर बल दिया गया है जो भारत के चहुमुखी विकास के दृष्टिकोण को उजागर करता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 डिजिटल प्रौद्यौगिकी के उध्दव और स्कूल से लेकर उच्चतर शिक्षा तक सभी स्तरों पर प्रौद्यौगिकी के उभरते हुए महत्त्व को अंगीकार करती है। शिक्षा नीति 2020 में ऑनलाइन शिक्षा में मूल्यांकन, ई-कंटेंट की गुणवत्ता तथा ऑनलाइन शिक्षा की हानियों जैसे विषयों के मुल्यांकन के लिए NETF, CIET, NIOS, IGNOU आदि उपर्युक्त एजेंसियों की पहचान कर पायलट अध्धयन की सिफारिश की गई है जो प्रौद्यौगिकी एकीकरण के लाभों को विस्तारित करने तथा हानियों को कम करने में एक उपयुक्त एवं अनुकूलन कदम सिद्ध होगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ऑनलाइन शिक्षक अधिगम को प्रभावशाली बनाने के लिए तथा शिक्षार्थियों की प्रगति जाँच के लिए मौजूदा ई-लर्निंग प्लेटफार्म जैसे दीक्षा आदि के विस्तार पर बल दिया गया है जिसके अंतर्गत शिक्षकों के लिए संरचित, समृद्ध और उपयोगकर्ता अनुकूल सेट विकसित किए जाएंगे जो निश्चय ही ऑनलाइन शिक्षण अधिगम की यथार्थ आवश्यकताओं की पूर्ति करेंगे।

ऑनलाइन शिक्षा के संबंध में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि शिक्षार्थियों तथा शिक्षकों के लिए ऐसी डिजिटल रिपोजिटरी तैयार की जाएगी जो पहली बार ऑनलाइन शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में दृष्टिगत होगी। इसमें विभिन्न कोर्स वर्क, लर्निग गेम्स, सिमुलेशन, आगमेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी आदि से संबंधित सामग्री होगी। ध्यान देने योग्य बिंदु यह है कि डिजिटल रिपोजिटरी की सामग्री की प्रभावशाली और गुणवत्ता आकलन के लिए एक स्पष्ट सार्वजनिक रेटिंग प्रणाली होगी जिससे ई-सामग्री की उपयुक्तता को मनोवैज्ञानिक और तकनीकी सिध्दांतों के साथ लयबद्ध करके देखा जा सकेगा जो स्वंय में गुणवत्तापूर्ण सुधार एवं नवीनता का सूचक है। इसके अंतर्गत मनोरंजन आधारित विभिन्न भारतीय भाषाओं में अधिगम ऐप्स भी बनाए जाएंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ठोस रूप से इस बात पर बल दिया गया है कि डिजिटल ऑनलाइन शिक्षा का लाभ डिजिटल कम्पूटर उपकरणों की उपलब्धता को सुनिश्चित करके ही उठाया जा सकता है। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा मौजूदा जनसंचार माध्यमों जैसे टीवी, रेडियो आदि का उपयोग प्रसारण के लिए बड़े पैमाने पर करने की बात की गई है जिसके द्वारा शैक्षिक कार्यक्रमों का विभिन्न भाषाओँ में 24*7 उपलब्ध कराने की सुनिश्चितता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण व्यवहारिक और प्रयोग आधारित अनुभव के समान अवसर प्राप्त हो इसके लिए वर्चुअल लैब्स की व्यवस्था की जाएगी जिसके अंतर्गत दीक्षा, स्वयं और स्वयंप्रभा जैसे ई-लर्निंग प्लेटफार्म का उपयोग किया जाएगा। वर्तमान शिक्षा नीति की यह सिफारिश डिजिटल प्लेटफार्म में शैक्षिक अवसरों की समानता को संबोधित करते हुए भारत केंद्रित शिक्षा का साक्षात्कार कराती है।

यद्यपि भारत जैसे विविधता युक्त तथा विशाल क्षेत्रफल आधारित देश में सार्वजनिक, अंतर संचालित तथा खुले डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और प्रवेश करना एक प्रमुख चुनौती है जिसे शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न प्लेटफार्म तथा पाइंट सल्यूशंस द्वारा उपयोग कर कम किया जा सकता है, इससे प्रौद्योगिकी आधारित संसाधनों की उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास के साथ सुनिश्चितता सिद्ध होगी। राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रुपरेखा 2005 में विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षा तथा शिक्षण-अधिगम पक्ष में मूल्यांकन तथा आकलन पक्ष के सुधार पर स्पष्ट शब्दों में जोर दिया है। इसी संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 आगे कदम बढ़ाते हुए प्रस्तावित राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र (परख), स्कूल बोर्ड, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी आदि चिह्णित निकायों द्वारा ऑनलाइन मूल्यांकन रुपरेखा के निधार्रण व क्रियान्वयन का पक्ष रखती हैं जिसमें न केवल मानकीकृत मूल्यांकन सम्मिलित होगा अपितु ऑनलाइन माध्यम में विद्यार्थियों की दक्षता पोर्टफोलियो, रुब्रिक तथा मूल्यांकन विश्लेष्ण के डिजाइन का समावेशन महत्वपूर्ण है।

सीखने-सिखाने में तकनीकी के समावेशन का यह कतई अर्थ नहीं है कि हम परंपरागत व्यक्तिगत रूप से आमने-सामने सीखने की सार्थकता को दरकिनार कर केवल प्रौद्यौगिकी पर आधारित हो जाएं।

तकनीकी का शिक्षा में एकीकरण शिक्षा को मनोरंजक, सरल और गुणवत्तापूर्ण बनाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण है न कि शिक्षक के पूर्ण रूप से प्रतिस्थापना के रूप में। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए मिश्रित अधिगम उपागम ने अपना स्थान शिक्षण अधिगम में सुनिश्चित किया है। हाल ही में किए गए शोधों तथा स्वयं लेखक द्वारा हाल ही में किए गए शोध के परिणाम यह स्पष्ट करते है कि अधिकांश शिक्षार्थी तथा शिक्षक मिश्रित अधिगम उपागम के द्वारा सीखने सिखाने के प्रति तत्परता तथा उपयुक्त प्रत्यक्षण प्रदर्शित करते हैं, अत: शिक्षण-अधिगम में मिश्रित अधिगम की उपेक्षा नहीं की जा सकती। इसी तर्ज पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 डिजिटल शिक्षा अधिगम में विभिन्न विषयों के लिए सीखने के विभिन्न मिश्रित प्रभावी माडल्स की सिफारिश करती है, जो आज के बदलते औद्यौगिक परिवेश की वांछित मांगों को पूरा करने के लिए नितांत आवश्यक है। ऑनलाइन कक्षा शिक्षण की एक प्रमुख चुनौती है- शिक्षकों का उपयुक्त प्रशिक्षण शिक्षकों को उच्चतम गुणवत्ता वाली सामग्री का सर्जन करने का गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा ऑनलाइन परीक्षा पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार नेटवर्क व बिजली की समस्या तथा अनैतिक प्रथाओं को रोकने संबंधी कई महत्वपूर्ण समस्याओं पर विचार कर नवीन उपायों को खोजा जाएगा, ऐसा इस शिक्षा नीति का ध्येय है।

उपर्युक्त विश्लेष्ण से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, शिक्षा में प्रौद्यौगिकी के उपयोग को एक नवीन दिशा देकर सशक्त भारत का निर्माण करने की आधारशिला रखने में समर्थ है।

(लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में शिक्षा विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर है।)

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