✍ नम्रता दत्त श्रृंखला के इस सोपान में शिशु की बौद्धिक क्षमताओं अर्थात् विज्ञानमयकोश एवं आध्यात्मिक क्षमताओं अर्थात् आनन्दमयकोश के विकास पर संक्षिप्त चर्चा करेंगे।…
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शिशु शिक्षा 39 – क्षमताओं का विकास
✍ नम्रता दत्त शिशु के जीवन के प्रारम्भ्कि पांच वर्ष सीखने की नींव के वर्ष होते हैं। पांच वर्ष की यह सीख/शिक्षा सम्पूर्ण जीवन की…
शिशु शिक्षा 38 – संस्कार एवं चरित्र निर्माण
✍ नम्रता दत्त बाल मनोविज्ञान के अनुसार बालक का 85 प्रतिशत विकास छः वर्ष की अवस्था से भी पूर्व हो जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति…
शिशु शिक्षा 37 – अनौपचारिक शिक्षा कैसे?
✍ नम्रता दत्त सजीव सृष्टि का परिचय आज पार्थ की मम्मी को ऑफिस से घर लौटने में देर हो गई थी और तीन वर्ष के…
शिशु शिक्षा 36 – जीवन का घनिष्ठतम अनुभव (परिवार/आचार्य शिक्षण)
✍ नम्रता दत्त शिशु शिक्षा पर विशेष महत्व एवं चिन्तन का कारण है उसका समग्र विकास जो कि इस अवस्था में 85 प्रतिशत हो जाता…
शिशु शिक्षा 35 – अनौपचारिक शिक्षा क्या, क्यों और कैसे?
✍ नम्रता दत्त गत सोपान में हमने जाना कि शिशु अवस्था (3 से 5 वर्ष) में शिक्षा का अर्थ पढ़ना-लिखना अर्थात् औपचारिक शिक्षा नहीं अपितु…
शिशु शिक्षा 34 – अनौपचारिक व औपचारिक शिक्षा
✍ नम्रता दत्त हमने शिशु शिक्षा की यह श्रृंखला 0 (शून्य) से प्रारम्भ की थी और अब इस सोपान से हम 3 वर्ष के…
शिशु शिक्षा 33 – शिशु के संस्कार में पारिवारिक वातावरण की भूमिका
– नम्रता दत्त शिशु अवस्था (0 से 5 वर्ष तक) संस्कार ग्रहण करने की सर्वश्रेष्ठ अवस्था मानी जाती है, क्योंकि इस अवस्था में शिशु का…
शिशु शिक्षा 32 – परिवार में मातृभाषा का वातावरण
– नम्रता दत्त शिशु अवस्था संस्कार ग्रहण करने की सर्वश्रेष्ठ अवस्था है क्यों और कैसे? – इसका बहुत कुछ चिन्तन गत सोपानों में किया गया।…
शिशु शिक्षा 31 – सजीव सृष्टि से आत्मीय परिचय
– नम्रता दत्त ‘शिक्षा’ मात्र पुस्तकीय ज्ञान लेना नहीं अपितु जीवन जीने की कला को जानना है। शिक्षा वही है जो जीवन के व्यवहार में…