अंदर के दीपक

✍ गोपाल माहेश्वरी वीर ने जैसे ही दीपक जलाए हवा के झोंके ने बुझा दिए। उसने फिर जलाए, फिर ऐसा ही हुआ। तीसरी चौथी बार…