– रवि कुमार “आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्” अर्थात आरोग्य परम भाग्य है और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के…
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परिवार हो समाज पोषक
– दिलीप वसंत बेतकेकर औद्योगिक क्रांति के पश्चात जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अत्यधिक परिवर्तन हुए। परिवार प्रबन्धन भी अपवाद नहीं रहा। अनेक देशों में…
बरसात हो सवालों की!
– दिलीप वसंत बेतकेकर “बिल्ली की आँखें रात्रि के समय क्यों चमकती हैं, पापा!” राजू ने समाचारपत्र पढ़ते कुर्सी पर बैठे हुए अपने पिताजी से…
लाला लाजपत राय और तत्कालीन पंजाब में राष्ट्रीय शिक्षा
– संदीप कुमार लाला लाजपत राय एक महान स्वतन्त्रता सेनानी, समाज सुधारक, लेखक, शिक्षाविद तथा राष्ट्र-विचारक थे। शेर-ए-पंजाब के नाम से विख्यात लालाजी राष्ट्रवाद तथा…
समाज जीवन की कौन सी चुनौती शिक्षा क्षेत्र की नहीं?
– अवनीश भटनागर शिक्षा जीवन के विकास की यात्रा है। व्यक्तित्व के विकास का एक मात्र माध्यम शिक्षा ही है। विश्वभर के शिक्षाविद् कहते हैं…