– वासुदेव प्रजापति शिक्षा में परिवर्तन करने से पूर्व हमें एक और सूत्र को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। ‘शिक्षा व्यक्तिगत नहीं होती राष्ट्रीय…
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भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात-119 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा हेतु परिवर्तन के बिंदु-1)
– वासुदेव प्रजापति हम भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा चाहते हैं। भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा तभी संभव है जब आज की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन किया…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 117 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – धर्माचार्य और शिक्षा-2)
✍ वासुदेव प्रजापति हमारे देश में धर्माचार्यों की बहुत बड़ी संख्या है। उनके बड़े-बड़े आश्रम चलते हैं। उन आश्रमों में धार्मिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त भी…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 116 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – धर्माचार्य और शिक्षा-1)
✍ वासुदेव प्रजापति भारत एक धर्मप्राण देश है। सम्पूर्ण देश में धर्माचार्यों की विशेष ख्याति है। लोग उनकी बात मानते हैं। उनकी तपश्चर्या और उनके…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 115 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – सामाजिक स्तर पर करणीय प्रयास-3)
✍ वासुदेव प्रजापति सामाजिक स्तर पर सम्बन्धों की आज कोई व्यवस्था नहीं है। हमने वर्ण, जाति व सम्प्रदाय का त्याग कर दिया परन्तु उनके स्थान…
ऋषियों की संतान हैं भारत की समस्त जनजातियाँ
✍ रमेश शर्मा भारतीय वैदिक चिंतन और विज्ञान का अनुसंधान आपस में मेल खाते हैं यदि इन दोनों को आधार बनाकर विचार करें तो हम…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 114 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – सामाजिक स्तर पर करणीय प्रयास-2)
✍ वासुदेव प्रजापति पश्चिमी सभ्यता को अपनाने के फलस्वरूप भारतीय समाज का मानस भी बदला है। मानस बदलने के कारण परिवार इकाई छोटी होती जा…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 111 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा विद्यालय में करणीय प्रयास-2)
✍ वासुदेव प्रजापति वर्तमान ढ़ाँचें की परिष्कृति शिक्षा के वर्तमान ढाँचें में सबसे पहले आन्तरिक परिष्कृति की आवश्यकता है। आन्तरिक परिष्कृति के उपाय बहुत सरल…
भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 110 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा विद्यालय में करणीय प्रयास-1)
✍ वासुदेव प्रजापति विद्यालय समाज में ज्ञान का केन्द्र है। वहाँ जैसी ज्ञान की साधना होती है, वैसा ही समाज का सत्त्व निर्माण होता है।…