लोकनायक श्रीराम – १

✍ प्रशांत पोळ कालचक्र की गति तेज है। वह घूम रहा है। घूमते-घूमते पीछे जा रहा है। बहुत पीछे। इतिहास के पृष्ठ फड़फड़ाते हुए हमें…