✍ दिलीप बेतकेकर
अब देखते हैं कि अध्ययन के मित्र कौन हैं, साथी कौन हैं! पुस्तकें हमारी प्रथम मित्र हैं! कुछ पुस्तकें उस शालेय सत्र के लिए उस सत्र तक के लिए ही होती है। अगली कक्षा में आने पर पुस्तकें बदल जाती हैं। नई कक्षा में नई पुस्तकें आती हैं, परन्तु कुछ पुस्तकें ऐसी होती हैं जो केवल उच्च कक्षा ही नहीं अपितु जीवन भर के लिए उपयोगी रहती हैं। ये पुस्तकें जीवनभर का साथ देती हैं।
इनमे सबसे पहले आता है शब्दकोश! ‘शब्दकोश’ का नाम सुनते ही हमारे समक्ष दिखता है हिन्दी-अंग्रेजी, मराठी-अंग्रेजी, हिंदी-मराठी शब्दकोश! पहले सामान्यतः ये ही शब्दकोश होते थे। आजकल प्रत्येक विषय के शब्दकोष बाज़ार में उपलब्ध हैं। इनमें भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, संगणक, गणित, मेडिकल आदि सभी विषयों के शब्दकोष उपलब्ध हैं। यदि सभी शब्दकोष (आवश्यकतानुसार) एक साथ लेना संभव न हो तो प्रतिमाह एक एक करके भी क्रय कर सकते हैं। थिसारस यह एक शब्दकोष का प्रकार है। यह बहुत ही उपयोगी है। अपने मोबाइल में भी यह सुविधा उपलब्ध है। अनेक प्रकार के ‘ऐप्स’ मोबाइल में उपलब्ध हैं। कहावतें, युक्तियां, वाक्य प्रचार, व्याकरण आदि की भी पुस्तकें होती हैं। ‘यू-ट्यूब’ पर भी बहुत साहित्य सामग्री उपलब्ध है।
पृथ्वी का गोल (ग्लोब) यह एक उपयुक्त साधन है। परिवार के लिए भी यह एक अच्छा शैक्षणिक साधन है। छोटे मोटे रोल अप बोर्ड कल्पकता से उपयोग में ला सकते हैं। याद रखने की जानकारी, याद करने के सूत्र (कंठस्थ), नए शब्द आदि आदि अनेक बातें इस रोल अप- बोर्ड पर, भिन्न भिन्न रंगों के चाक से लिखकर घर में सुविधाजनक स्थानों पर लगाएं। आते-जाते, चलते-फिरते सहजता से इन्हें देखने से सब सरलता से कंठस्थ हो जाएगा, पता ही नहीं चलेगा।
समाचार पत्र यह रोज सहज रूप से और अल्प कीमत में उपलब्ध होने वाला, और अनेक प्रकार के सहायक, सभी का का मित्र कहलाता है। शाला में जो भी पढ़ते हैं, उन सभी विषयों का समाचार में स्थान रहता है। रोज प्रातः मिलने वाली यह एक पुस्तक ही है विशेषकर शनिवार, रविवारीय पूरक परिशिष्ट में बहुत सा साहित्य होता है। उसमें विविधता, सामान्य ज्ञान, अन्य अनेक ज्ञानवर्धक माहिती उपलब्ध होती है। रूड यार्ड किप्लिंग, एक प्रख्यात अंग्रेजी लेखक कहते थे- मैंने अपनी सहायता के लिए छः ईमानदार मित्रों को रखा है। उन्होंने मुझे बहुत सिखाया, अभी भी सीखा रहे हैं। I have six honest friends. They taught me all I know.
हम भी उन छः मित्रों से मित्रता कर सकते हैं। वे मित्रता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। हमे स्वयं ही इस मित्रता के लिए पहल करनी चाहिए। हम यदि ईमानदारी और निष्ठापूर्वक उनकी मित्रता हेतु पहल करेंगे तो वे मित्र भी हमसे एकनिष्ठ होकर रहेंगे। आपको अब यह उत्सुकता अवश्य होगी कि ये छः मित्र कौन हैं? ये छः एकनिष्ठ मित्र हैं- क्या, कौन, कब, कहां, कैसे और क्यों।
आश्चर्य हुआ न! अब मन में शंकाएं, प्रश्न उठ रहे होंगे। ये कैसे मित्र हुए? ये क्या मदद कर सकते हैं? परन्तु वास्तव में ये बहुत अच्छे मित्र हैं। ये सदैव साथ रहते हैं, कभी धोखा नहीं देते।
वे क्या और कैसी सहायता कर सकते हैं यह देखना है? एक उदाहरण देखें- मान लीजिए कि हमें प्रदूषण विषय में निबंध लिखना है, या व्याख्यान देना है, अथवा प्रकल्प पूर्ण करना है। यह सब करने के लिए ये मित्र ही सहायता कर सकते हैं। ‘प्रदूषण’ इस शीर्षक को, विषय के अनुसार क्या, कौन, कब, कहां, कैसे और क्यों? ऐसे प्रश्न पूछते जाएं। प्रदूषण और क्या ऐसे दो शब्द लेकर जितने प्रश्न संभव हो उतने पूंछे। उनके उत्तर लिखना। पांच-सात प्रश्न तो सहज ही मिल सकते हैं। इसी प्रकार क्रमवार शेष पांच मित्रों को पूंछे और उनके उत्तर लिखें। इस तरह सामान्य स्तर का विद्यार्थी भी पच्चीस-तीस प्रश्नोत्तर तैयार कर सकता है। इस प्रकार प्रत्येक प्रश्न की एक दो पंक्तियां भी लिखी जाएं, तो लगभग चालीस पचास पंक्तियां तैयार हो जाएंगी। बस हो गया। चालीस-पचास पंक्तियों का निबंध तैयार हो जाएगा।
एक बार ऐसी आदत हो जाए, अभ्यास हो जाए इसका, तो फिर निश्चित ही आदत हो जाएगी। इस प्रकार से विचार करने से सहजता आती है। जैसे जैसे हमें कैसे, क्यों आदि के संदर्भ में अधिक प्रश्न उभरते हैं, वैसे अपनी वैचारिक क्षमता में वृद्धि होती जाती है, स्तर गहन हो जाता है। ऐसा विचार करना, मनन करना, चिंतन करना ही ‘शिक्षण’ ‘अध्ययन’ है। क्या और कौन जैसे प्रश्नों के उपरांत कैसे और क्यों इन प्रश्नों की दिशा में प्रयत्न पूर्वक जाना चाहिए।
इस पद्धति को अपनाने से प्रसन्नता में वृद्धि होती है, अपने स्वयं की स्वयं के बारे में धारणा स्पष्ट होती है। स्वयं की क्षमता, स्व-सामर्थ्य, वैचारिक क्षमता आदि की वास्तविक पहचान होती है।
फिर हमें अनुभव होता है कि मैं ही स्वयं का प्रामाणिक मित्र हूँ!
To have a friend, be a friend.!!
(लेखक शिक्षाविद, स्वतंत्र लेखक, चिन्तक व विचारक है।)
और पढ़ें : अभ्यास के औजार
Facebook Comments