आर्यन बेल्ट, कारगिल।जम्मू कश्मीर के दूरस्थ व सीमावर्ती क्षेत्रों की शिक्षा के लिए मील का पत्थर बने है एकल विद्यालय।इस कार्य की संभाल की दृष्टि से वरिष्ठ अधिकारी जाते रहते है।श्री हेमचन्द्र जी, राष्ट्रीय मंत्री, विद्या भारती का प्रतिवर्ष एक बार वहाँ जाना होता है।प्रवास के दौरान एक बैठक में श्री हेमचन्द्र जी का रहना हुआ जिसमें एकल विद्यालयों का संचालन करने वाले आचार्य, दीदी व कार्यकर्ता सहभागी हुए।एकल विद्यालयों की स्थिति को लेकर चर्चा हुई।एकल विद्यालयों की गत वर्ष व आज की स्थिति,संचालन में आने वाले कठिनाइयाँ, उनका समाधान इस पर विचार विमर्श हुआ ।
बैठक के अंत में श्री हेमचन्द्र जी ने सबके सामने प्रश्न रखा कि इन एकल विद्यालयों की क्या उपलब्धि है।बैठक में कुछ समय तक सन्नाटा रहा।जब कोई उत्तर नहीं आया तो श्री हेमचन्द्र जी ने कहा कि जब एकल विद्यालयों की कोई उपलब्धि नहीं है तो इन्हें क्यों चलाना।देशभर से समाज संपर्क करके मेहनत से राशि एकत्र करके एकल विद्यालयों के संचालन के किए यहाँ भेजी जाती है।जो राशि का सहयोग करते है वे यह भी अपेक्षा करते है कि इस राशि का ठीक उपयोग हो।
थोड़े समय बाद एक दीदी खड़ी हुई और कहती है कि मैं बताती हूँ एकल विद्यालयों की क्या उपलब्धि है।उस दीदी ने कहा कि हम आपके सामने बैठे है तो एकल विद्यालय के कारण बैठे हैं।हमारे गाँव सीमावर्ती है वहाँ पाकिस्तान की ओर से शेलिंग होती रहती है।हमारे गाँव में हम रहते है तो एकल विद्यालय के कारण रहतेहैं।हमारे क्षेत्र के बालकों को शिक्षा व संस्कार मिल रहे है तो एकल विद्यालय के कारण है।15 अगस्त व 26 जनवरी को हमारे गाँव में तिरंगा फहराया जाता है तो एकल विद्यालय के कारण होने वाले कार्यक्रम के कारण होता है।‘भारत माता की जय’ बोली जाती है तो एकल विद्यालय के कारण बोली जाती है।यह बात बताते हुए दीदी भाव विभोर हो गई।बैठक का वातावरण गंभीर हो गया।
वास्तव में एकल विद्यालय दूरस्थ व सीमावर्ती क्षेत्रों की शिक्षा के लिए मील का पत्थर बन रहे है।