– रवि कुमार
इस अंक में हम हिन्दी भाषा शिक्षण पर विचार करेंगे । भाषा शिक्षण के मुख्यतः तीन भाग हैं – गद्य, काव्य एवं व्याकरण । गद्य में कहानी, निबन्ध, आत्मकथा, काव्य में कविता, छंद, दोहे, गीत, व्याकरण में वर्ण, शब्द, वाक्य निर्माण, संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, कारक, समास, अलंकार, संधि, शब्दों के प्रकार – विपरीतार्थक, विलोम, पर्यायवाची, वाक्य प्रकार – सामान्य, संयुक्त, मिश्रित आदि विषय आते हैं । आचार्यों से चर्चा होती है तो दो बातें निकलकर आती हैं । एक गद्य, काव्य व व्याकरण मिलाकर पाठ्यक्रम काफी लम्बा है और वर्षभर में इसे पूरा करवाने के लिए आचार्य व बालक को काफी मेहनत करनी पड़ती है । दूसरा पाठ्यक्रम के आधार पर बना प्रश्न-पत्र काफी लम्बा होता है । उसे हल करने के लिए तीन घंटे का समय कम पड़ता है । पाठ्यक्रम का लम्बा होना स्वाभाविक है यदि पाठ संख्या गिनेंगे और शिक्षण का तरीका पारम्परिक है । मुख्य विषय है कक्षा शिक्षण में आचार्य दृष्टि एवं शिक्षण पद्धति का ।
कहानी शिक्षण : गद्य भाग में कहानी शिक्षण के विषय में विचार करेंगे । जो कहानी करवानी है वह किसी एक बालक को वाचन के लिए कहें, शेष सभी बालक कहानी को श्रवण करें । दो या अधिक बालकों द्वारा वाचन हो । उसके बाद यह पूछा जाए कि कौन-कौन बालक इस कहानी को अपने शब्दों में सुना सकते हैं । जो बालक कहानी सुना सकते हैं उन्हें क्रमशः मौका दिया जाए । मौका मिलने वाले बालक उसी कहानी को अपने शब्दों में सुनाएंगे । इसमें एक प्रकार ऐसा भी हो सकता है दो या तीन बालक मिलकर क्रमशः उस कहानी को अपने शब्दों में कहेंगे ।
कहानी के साथ व्याकरण : बालकों को ग्रुप में बैठाकर कहा जाएं कि वे परस्पर चर्चा कर इस कहानी में आए कठिन शब्दों को चिन्हित करेंगे । आचार्य उनसे कठिन शब्द पूछकर श्याम पट्ट पर लिखेगा । इन कठिन शब्दों का अर्थ बालकों से चर्चा कर निकाला जाए । अब बालकों से कहा जाए कहानी में संज्ञा शब्द कौन-कौन से हैं और वह शब्द किस प्रकार की संज्ञा है – जातिवाचक, व्यक्तिवाचक, स्थानवाचक है या भाववाचक । कहानी में से कोई एक वाक्य बोलकर पूछा जाए कि यह वाक्य का कौन-सा प्रकार है – सामान्य, संयुक्त या मिश्रित वाक्य है । इसी प्रकार कक्षा में स्तरानुसार व्याकरण का पाठ हो सकता है ।
समाचार पत्र का प्रयोग : बालकों का शब्द कोश बढ़े, वाक्य की समझ बढ़े, नये-नये शब्द व वाक्य सीखने को मिलें, इसके लिए एक और प्रकार है । बालकों को ग्रुप में बैठाकर हिन्दी समाचार पत्र का एक-एक पृष्ठ सभी ग्रुपों में वितरित किया जजाएं । उनसे कहा जाए कि परस्पर चर्चा कर कोई एक समाचार चयनित करना और उसकी प्रमुख बातें चिन्हित करना । प्रत्येक ग्रुप से एक बालक को मौका देना कि वह आगे आकर अपने ग्रुप में चयनित समाचार को सार रूप में सबके सामने रखे । इसी क्रम में कठिन शब्द, वाक्य, व्याकरण आदि का अभ्यास कर सकते हैं ।
उपरोक्त गतिविधियों में प्रमुख बात जुड़ी है – बालक को अवसर देना, प्रोत्साहित करना, वह स्वयं करके देखे । आचार्य केवल संकेत देगा, शेष सब बालक करेंगे । अब इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि बालक को अवसर पूर्ण मिले एवं वह कम, अधूरा या गलत बताएं तो भी उन्हें प्रोत्साहित करें । गतिविधि की रचना, योजना भी महत्वपूर्ण है । प्रश्न-पत्र के सम्बन्ध में बालक को लेखन का पर्याप्त अभ्यास करवाना आवश्यक है और तीन घंटे में प्रश्न-पत्र हल करने की तकनीक सिखाना महत्वपूर्ण है ।
लर्निंगआउटकम : राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) द्वारा लर्निंगआउटकम नामक एक डाक्यूमैंट तैयार की गई है । जिसमें सिखाने के संकेत एवं सीखने के प्रतिफल बताए हैं । हिन्दी भाषा शिक्षण में सीखने के प्रतिफल के रूप में कहा गया है – बालक अपनी बात अपने शब्दों में अभिव्यक्त कर सके । वह घटनाओं को समझ कर अपनी भाषा में वर्णन कर सके व घटना के सम्बन्ध में प्रश्न कर सके । ऐसे सिखाने के संकेत एवं सीखने के प्रतिफल के लिए आचार्य द्वारा बालक को अवसर दिया जाए और प्रोत्साहित किया जाए । इस विषय में सबको सिखाने की आवश्यकता है ।