रामायण सत कोटि अपारा-5 (संस्कृत साहित्य में रामकथा)

✍ रवि कुमार रामकथा का आदि स्रोत ‘रामायण’ ही है। राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ ठाकुर ‘रामायण’ के भारतीय जन-मानस में व्याप्ति पर लिखते हैं, “रामायण की कथा…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 114 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – सामाजिक स्तर पर करणीय प्रयास-2)

 ✍ वासुदेव प्रजापति पश्चिमी सभ्यता को अपनाने के फलस्वरूप भारतीय समाज का मानस भी बदला है। मानस बदलने के कारण परिवार इकाई छोटी होती जा…

सहपाठी

✍ गोपाल माहेश्वरी वैदिक अपने विद्यालय की एटीएल यानी अटल टिंकरिंग लेब से निकलते हुए किसी गहरे विचार में इतना डूबा हुआ था कि अपने…

अपनी भाषा

✍ गोपाल माहेश्वरी सुभाष जी एक सेवानिवृत्त आचार्य थे। लेकिन प्रतिदिन शाला के खेल मैदान पर आने का उनका क्रम अखंड व्रत की भांति था। आते और मैदान…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 113 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा – सामाजिक स्तर पर करणीय प्रयास-1)

 ✍ वासुदेव प्रजापति   जैसे व्यक्ति एक इकाई है, वैसे ही परिवार व विद्यालय भी एक इकाई है। किन्तु समाज इकाई नहीं है, वह तो…

अध्ययन के शत्रु – 3

✍ दिलीप बेतकेकर अभावग्रस्त नियोजन युद्ध के लिए केवल सेना और शस्त्र का होना ही पर्याप्त नहीं। केवल इन्हीं के आधार पर युद्ध में विजय…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 112 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा विद्यालय में करणीय प्रयास-3)

✍ वासुदेव प्रजापति नई व्यवस्था का विचार हमें भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा हेतु नई व्यवस्था का विचार करना होगा, शिक्षा का एक नया प्रतिमान गढ़ना…

अष्टावधानी अध्यापकम्

मूल लेखकः (मराठी) दिलीप वसंत बेतकेकर अनुवादः (हिन्दी) डॉ. रमेश चौगांवकर प्रत्येक विद्यार्थी की सामाजिक आर्थिक, पारिवारिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि असमान रहती है। शिक्षक के लिए…

भारतीय शिक्षा – ज्ञान की बात 111 (भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा विद्यालय में करणीय प्रयास-2)

 ✍ वासुदेव प्रजापति वर्तमान ढ़ाँचें की परिष्कृति शिक्षा के वर्तमान ढाँचें में सबसे पहले आन्तरिक परिष्कृति की आवश्यकता है। आन्तरिक परिष्कृति के उपाय बहुत सरल…

समरसता की सुधा

✍ गोपाल माहेश्वरी सुधांशु पाठक सायं चार बजे अपना कुर्ता पायजामा पहने कांधे पर झोला लटकाए अकेले निकल पड़ते अपने विद्या मंदिर की गोद ली सेवाबस्ती…